दो बकरियों की कहानी | Do bakriyon ki kahani
चालाक बकरी | बकरी की कहानी | छोटे बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ
नदी के एक किनारे एक सुंदर नाम का गांव होता है। और नदी के दूसरी तरफ जंगल होता है। उस गांव में एक किसान के घर मीरा नाम की बकरी थी। बकरी के तिन बच्चे थे। बच्चे हमेशा बरामदे में खेलते रहते थे।
एक दिन बकरी के तिनों बच्चे बरामदे में खेल रहे थे और मीरा उस वक्त बच्चों के पास नहीं थी। तभी किसान का बेटा अपने एक दोस्त के साथ बरामदे में आता है। और जंगल की हरियाली और जंगल के मिठे फलों के बारे में बाते करने लगता है।
बकरी का छोटा बच्चा उनदोनों की सारी बाते सुनता रहता है। जैसे ही किसान का बेटा और उसका दोस्त जंगल जाने के लिए घर से निकलता है। तभी बकरी का छोटा बच्चा भी उनके पिछे चल देता है। बकरी का बड़ा बच्चा उसे जाते देख कर उसे किसान के बेटे के पिछे जाने से रोकता है।
मगर वह अपने भाई की बात नही मानता उसे तो बस चारों तरफ की हरियाली देखने की चाह थी। किसान का बेटा भी अपने पिछे आते बकरी के बच्चे को नही देखता है। किसान का बेटा और उसका दोस्त नदी के किनारे ही एक अमरूद के पेड़ पर चढ़कर बैठ जाता है। और मिठे अमरूद के मजे लेने लगता है।
बकरी का बच्चा जंगल के अंदर चला जाता है। अपने चारों तरफ हरे-हरे घास देखकर बहुत खुश हो जाता है। और खाने लगता है। खाने के बाद वह जंगल देखने थोड़ा और अंदर चला जाता है।
मीरा जब अपने बच्चों के पास आती है। तो अपना छोटा बच्चा वहां ना देख परेशान हो जाती है। उसे बड़े बच्चे ने बताया की वह जंगल में चला गया है।
मीरा अपने दोनों बच्चों को समझा कर की वह छोटे को लाने जा रही हैै। वहां कुछ भी हो सकता है। तुम दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ मिलकर रहना और बिल्कुल मत घबराना, और मेरे पिछे मत आना मै तुम्हारे पास जल्द ही आ जाउंगी।
मीरा की आंखों में आंसू भरा हुआ था। उसे लग रहा था कि शायद वो इन दोनों से कभी ना मिल पाऐगी। क्यों की जंगल में जंगली जानवर होते है। उसे मालूम भी नही था कि छोटा अब तक जिंदा भी होगा या नही। पर वो एक मां थी अपनी जान की परवाह ना करते हुए वह अपने छोटे बच्चे को ढूंढने जंगल चली जाती है।
जंगल में जब मीरा आती है। तो वह देखती है। बच्चे को कुछ लोमड़ीयों ने चारों तरफ से घेर रखा होता है। वह अपने बच्चे के पास जाती है। बच्चा अपनी मां को देख लिपट जाता है। बकरी बोलती है। तुम हमें खाना चाहते हो पर हमें शेर ने यहां रूकने के लिए बोला है। वह शेरनी को लाने गया है।
लोमड़ी पूछती है। क्यों शेर तुम्हें जिंदा छोड़कर क्यों जाएगा भला। बकरी बोलती है। हमारी रखवाली के लिए हाथी छोड़ गए है। शेर राजा के आने से पहले अगर तुम हमें खा जाआगें तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हमें शेरनी खाए या लोमड़ी पर तुम्हें शेर जिंदा नहीं छोड़ेगा। ये हाथी उन्हें जरूर बता देगा की तुमने हमें खाया है।
लोमड़ी अपनी जान की परवाह करते हुए कौन शेर के मुंह से निवाला छिन खुद शेर का भोजन बने चूपचाप वहां से चला जाता है।
बकरी अपने बच्चे को लेकर जंगल से भागते हुए जंगल से बाहर आ जाती है। और अपने बच्चे को खुब चूमती और प्यार करती है। रात होने से पहले बकरी अपने बच्चे को लेकर घर पहुंच जाती हैं।
चारों एक दूसरे के गले लग कर खुब प्यार करते है। और तिनों बच्चे हमेशा अपनी मां की बात मानेगे। मां को वचन देते है।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है। इंसान हो या जानवर अपने मां-पापा की बात हमेशा माननी चाहिए। नही तो वो मुसीबत में पर जाते है।
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