Sindbad Jahazi ki Kahani in Hindi (सिंदबाद जहाजी की कहानी) : बहुत समय पहले की बात है। किसी देश में सिंदबाद नाम का एक बहादुर नाविक रहता था। वह कई रोमांचकारी समुद्री यात्राएं कर चुका था।
एक बार यात्रा करते समय सिंदबाद जो छोटा सा टापू दिखार्द दिया। उसने सोचा वह इस टापू पर जाएगा। उसने फिर अपने दो साथियों के साथ पिकनिक मनाने उस टापू पर चला गया।
टापू पर पहुंच कर सिंदबाद के साथी वहां खाना बनाने लगे और वह वही लेटकर आराम से करने लगा। अचानक उसे अपने जहाज से कुछ आवाजे सुनाई दीं। तभी उसे एहसास हुआ जिस टापू पर वह लेटा हुआ वह हिल रहा है।
जहाज के यात्री चिल्लाने लगे, तुम लोग एक विशाल व्हेल मछली की पीठ पर बैठे हो। जल्दी से नाव पर बैठ जाओ।
यह सुनकर सिंदबाद के साथी तुरंत एक नाव में सवार हो गए। लेकिन जब तक सिंदबाद नाव पर चढ़ता, उससे पहले व्हेल ने पानी में डुबकी लगा दी। वह नाव में सवार नही हो सका।
उसके दोनों साथी जहाज में सुरक्षित पहुंच गए। सिंदबाद को अपनी जान बचाने के लिए पानी में तैरती एक लकड़ी की मदद लेनी पड़ी। तभी समुद्र में एक तुफान आया और उसे लहरे दूर लेकर चली गयीं। सभी को लगा सिंदबाद अब नही रहा तो नाव वापस चली गयीं।
सिंदबाद उसी लकड़ी के सहारे एक टापू पर जा पहुंचा। वह बहुत भूखा और प्यासा था। वह उस टापू पर थोड़ा चल कर आगे गया तो वहां उसे फलों के पेड़ दिखाई दिए।
सिंदबाद ने देखा उस टापू पर जंगली घोड़े के अलावा कोई नही रहता। थोड़ी देर बाद जब अंधेरा होने लगा तो वह एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन आधी रात को बाजे और नगारे की आवाज सुन उसकी नींद टुट गयीं। वह ईधर-उघर देखने लगा की यह आवाज कहां से आ रही है। पर उसे कुछ पता नही चला।
अगली सुबह उठकर सिंदबाद उठकर उस टापू के वासियों को ढुढ़ने चाहा, पर उसे वहां कोई नहीं मिला। सिंदबाद को भूख भी बहुत तेज लग रही थी, फिर उसने बहुत सारे फल खाया और अंधेरा होने से पहले एक पेड़ के उपर जा बैठा।
अगली रात को भी सिंदबाद को बाजों-नगाड़ों की आवाजें सुनाई दीं और उसकी नींद टूट गई। वह नगाड़ों की आवाजों का राज जानने के लिए पेड़ से नीचे उतर पड़ा। थोड़े आगे बढ़ने पर उसे कुछ लोग दिखाई दिए। वह हैरान हो गया। सिंदबाद दौड़कर उनलोगों के पास गया और अपनी सारी बातें उन्हें बताया।
उनलोगों ने कहा। हम राजा मिराज के सिपाही है। यह टापू जीनिय का है। वे रात को यहां आकर गाना-बजाना करते है। उन्हें हमें अनुमति दी है कि हम राजा मिराज के लिए जंगली घोड़ों को पालतू बना लें। पर हम ऐसा नही कर पा रहे है।
तुम अगर इन घोड़ों को पालतू बना लो तो हम तुम्हें इस टापू से अपने साथ राजा मिराज के पास ले चलेगें। ऐसा बोल वो लोग सिंदबाद को वहीं छोड़कर चलें गए।
सिंदबाद इय टापू से बाहर जाना चाहता था। पर सिंदबाद को मालूम था। वह घोड़े को पालतू बना सके ऐसी कोई विद्या उसे नहीं आती। वह रोज लोग से विनती करता उसे अपने साथ ले चले पर कोई भी सिपाही को सिंदबाद पर दया नहीं आई।
एक दिन सिंदबाद को कुछ लोग टापू पर जहाज से सामान उतारते दिखाई दिए। वह तुरंत उनके पास गया। वह तो उसका ही जहाज था। वह उस जहाज के लोगों से मिलने गया। उस जहाज से एक बूढ़ा व्यक्ति भी सवार था। जिसने सिंदबाद को पहचान लिया। उसने सिंदबाद का स्वागत किया और उससे अपने साथ चलने को कहा। सिंदबाद ने मिराज को धन्यवाद दिया और वहां से खुशी-खुशी उस जहाज द्वारा अपने देश लौट गया।
सिंदबाद और समुद्री बूढ़ा
बहुत समय पहले बगदाद शहर में सिंदबाद नाम का एक नाविक रहता था।
वह बहुत बहादुर था। सिंदबाद कई बार समुद्री यात्रा कर चुका था। एक बार सिंदबाद जब समुद्र में अपनी नाव चला रहा था, तो अचानक विशाल पक्षियों की झुंड ने उसके जहाज पर हमला कर दिया।
सिंदबाद नाव में अकेला ही था। वह अपनी जान बचाने के लिए नाव को छोड़ एक लकड़ी के लट्ठ की मदद से समुद्र में कूद गया। लकड़ी के लट्ठ की मदद द्वारा तैरकर किसी टापू पर जा पहुंचा।
सिंदबाद की किस्मत अच्छी थी। टापू पर खाने के लिए फल और पीने के लिए पानी भी मिल गया। कुछ देर आराम करने के बाद सिंदबाद उस जगह की खोज बिन करने का विचार किया।
कुछ देर घूमने के बाद उसने एक बूढ़े आदमी को देखा। वह बहुत कमजोर लग रहा था। सिंदबाद उसके पास गया और पूछा आप यहां कैसे आए?
वह कमजोर बूढ़ा व्यक्ति कुछ नही बोला। उसने केवल ईशारों से उसे बताया की उसे भूख और प्यास लगी है।
सिंदबाद के लिए वह व्यक्ति किसी पहेली सी कम नही था पर वह उसका ईशारा समझ गया था कि उसे भूख और प्यास लगी है।
सिंदबाद के दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी कि इस विराने जगह पर वह व्यक्ति कैसे आया।
सिंदबाद ने दया कर उस बूढ़े व्यक्ति को अपने कंधे पर बिठा पानी और फल की ओर जाने लगा। ज्यों ही उसने बूढ़े व्यक्ति को अपने कंधे पर बिठाया, ज्यों ही उसने अपनी टांगों से सिंदबाद की गर्दन जकड़ ली।
सिंदबाद जोर से चिल्लाया मेरा गर्दन छोड़ो, मेरा दम घुट रहा है। लेकिन उस बूढ़े की जकड़न सिंदबाद के गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। वह दर्द के कारण बेहोश हो गया।
सिंदबाद जब थोड़ी देर बाद होश में आया तो उसने देखा, बूढ़ा व्यक्ति उसके पास बहुत सारे फल इकक्ठा कर रखा है।
सिंदबाद को बूढ़ा व्यक्ति बहुत अजीब लगा, तभी सिंदबाद ने एक जहाज जाते हुए देखा। सिंदबाद नाविक को आवाज देना चाहता था। पर उसके गले से आवाज ही नही निकल रही थी। उस बूढ़े व्यक्ति ने उसकी गर्दन को इतना तेज दबाया था कि सिंदबाद के गले में दर्द हो रहा था।
सिंदबाद अब उस बूढ़े व्यक्ति से दूर रहना चाहता था, पर बूढ़ा व्यक्ति सिंदबाद के आस-पास ही रह रहा था।
कई दिन बित चूके थे, अब सिंदबाद का गला ठीक हो गया था, परन्तु सिंदबाद उस बूढ़े व्यक्ति से एक लब्ज भी नही बोला था। वह समझ गया था कि यह व्यक्ति उसके लिए ठीक नही है।
वह नही चाहता इस जगह से जाना और वह सिंदबाद को भी जाने नही देगा तभी उसने इसके गले को दबाया था ताकि वह किसी से भी मदद के लिए आवाज ना दे सके।
एक दिन बूढ़ा व्यक्ति सो रहा था। तभी सिंदबाद को एक जहाज टापूू की ओर आता हुआ दिखाई दिया। वह उस समुद्र के किनारे भागा और जहाज पर चढ़ गया। सभी यात्रियों को उस टापू पर उतरने से रोकने लगा, अपनी कहानी सुनाई।
सभी कहानी सुनने के बाद वहां से जहाज लेकर चले गए। यात्री सिंदबाद को बोले तुम्हें वह व्यक्ति बंदी बनाकर अपने पास रखना चाहता था। ताकी उसके अंतीम समय में कोई उसके पास हो। सिंदबाद को यह सुन उस बूढ़े पर रहम आने लगा तभी जहाज उस टापू से खुल गयी।
जब बूढ़े की आंख जब खूली सिंदबाद और जहाज उस टापू से काफी दूर जा चूकी थे।
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