दोस्तों, आज आपलोगों के लिए 4 ऐसी (Motivational Story In Hindi) कहानी लेकर आये हैं। जो कि न केवल आपके लिए प्रेरणा (Motivation) होंगी, बल्कि आपकी सोच बदल देगी। इन कहानियों को पढ़ने के बाद न केवल आपको ऊर्जा मिलेगी बल्कि आपको जीवन में कुछ करने की प्रेरणा भी मिलेगी।
हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए (Motivational Story in Hindi)
साहसी बालक Short Story in hindi
एक समय की बात हैं.किसी गांव में एक किसान रहता था। उसका एक बेटा था. बेटे का नाम था रमेश। रमेश हर दिन विद्यालय में पढ़ने जाता था। रमेश का गांव नदी के किनारे बसा हुआ था और विद्यालय नदी के उस पार था।
हर दिन की तरह रमेश विद्यालय जा रहा था। जब वह नदी के किनारे पहुँचा तो उसने देखा कि वहाँ लोगों की भीड़ लगी हुई है। भीड़ में से एक महिला की रोने-चीखने की आवाजें आ रही थी। वह बार-बार चिल्लाये जा रही थी ’’मेरा बच्चा डूब रहा है, मेरे बच्चे को कोई बचाओ।’’
उस महिला को सहानुभूति तो भीड़ में खड़े सब कोई दे रहा था। परंतु नदी में पानी बहुत गहरा और नदी की तेज धार के कारण पानी में कोई कूदने का साहस नही कर पा रहा था।
रमेश को उस महिला का रोना देखा ना गया। उसने अपने बसते को एक ओर रखा कपड़े उतारे और नदी में कूद गया।
नदी किनारे भीड़ की टकटकी उस बालक पर थी। ऐसा साहसी और बहादूर बालक उन्होंने कभी नही देखा था।
नदी के बहाव के पानी को चीरता हुआ बालक बच्चे की ओर बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर में वह बच्चे के पास पहुँच जाता है और उसे पकड़ लिया। रमेश बच्चे को अपनी पीठ पर चढ़ा लेता है और रमेश साहस के साथ नदी के किनारे धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।
तैरता हुआ रमेश थोड़ी देर में नदी के किनारे आ जाता है। रमेश बच्चे को पीठ से उतार कर धरती पर लेटा देता है। बालक की माँ के जान में जान आ जाती है। बच्चे की मां ने आगे बढ़कर रमेश को बहुत-बहुत आर्शीवाद दिया।
अन्य लोगों ने भी रमेश की बहुत प्रशंसा की। साहसी और परोपकारी बालक आगे चल कर और प्रशंसा जनक काम करता रहता था।
मंदिर का मैनेजर Real life inspirational short stories in hindi
एक व्यक्ति था। वह बहुत ही धनवान और बहुत ही धार्मिक था। धनी व्यक्ति ने एक मंदिर बनवाया. पूजा करने के लिए एक मंदिर में एक पुजारी भी रख लिया।
मंदिर के नाम उसने बहुत सारे खेत और बगीचे कर दिए।
उस व्यक्ति ने मंदिर में ऐसा प्रबंध भी किया था कि जो दीन-भूखे-प्यासे अथवा साधु-संत मंदिर में आएं, वे मंदिर में ठहर सकें और उनके भोजन आदि की व्यवस्था भी मंदिर की ओर से ही हो। इसके लिए उसे एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जो उस संपत्ति का प्रबंध संभाल सके और मंदिर के और मंदिर में आए सभी लोगों की देखभाल कर सके।
उसने यह बात गांव के पांच-दस आदमियों के कानों में डाली तो बहुत से व्यक्ति इस काम के लिए उस धनी व्यक्ति के सामने आए। सबका विचार था कि यह नौकरी मिल जाए तो वेतन अच्छा ही होगा।
बहुत से लोग आए और चले गए. धनी व्यक्ति को उनमें से कोई भी व्यक्ति अपने काम काम का नही मिला। इसलिए उस धनी व्यक्ति ने उनमें से किसी को भी काम पर नही रखा। उसके इस व्यवहार से लोग उसे ढ़ोगी समझने लगे और उसका उपहास करने लगे। गांव के लोग उस धनी व्यक्ति को पागल भी समझने लगे।
उस धनी व्यक्ति ने एक नियम बना लिया था। जब मंदिर के दरवाजे पूजा के लिए खुलेगें तो वह अपने घर के छत से मंदिर में आने-जाने वाले लोगों को देखता रहता था।
एक दिन एक व्यक्ति मंदिर पूजा करने भगवान के दर्शन करने आ रहा था। मंदिर के रास्ते एक ईट का टुकड़ा गड़ा हुआ था। उस टुकड़े का एक कोना उपर की ओर उठा हुआ था। उस आने वाले व्यक्ति की निगाहें उस कोने पर पड़ गई। उसने तुरंत उस ईट के उस टुकड़े को उखाड़ कर फेंक दिया और गढडे में मिट्ठी डालकर मार्ग को समतल कर दिया। फिर वह मंदिर में चला गया।
धनी व्यक्ति उस कार्य को देख रहा था। वह तुरंत घर के छत से उतर कर मंदिर के मुख्य द्वार पर आकर खड़ा हो गया। जब वह व्यक्ति दर्शन कर लौट रहा था तो धनी व्यक्ति ने उसे रोक कर कहा- मेरी इच्छा है कि आप मंदिर में प्रबंध-व्यवस्था को संभाल लें। मैं इस सेवा के बदले आपको उचित वेतन दूंगा।
वह मनुष्य आश्चर्य में पड़ गया। उसे पता था कि इस कार्य के लिए बहुत लोग धनी व्यक्ति से मिलने गये थे, पर उन्हें मना कर दिया गया था। वह व्यक्ति ने बोला में तो बहुत कम पढ़ा लिखा व्यक्ति हूँ। मैं प्रबंध का कार्य कैसे संभाल पाउँगा ?
धनी व्यक्ति ने बोला में इस कार्य के लिए किसी भले आदमी को रखने का विचार किया था और वह तुम मुझे लग रहे हो। तुम इस कार्य को पूर्ण रूप से अपने दिल से करोगें मुझें पुरा विश्वास है।
कोई भी काम छोटा नहीं होता Motivational story book in hindi
एक समय की बात है. गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था। जिस वजह से सभी चलते – चलते थक गए। अब उन्हें विश्राम करने की इच्छा हुई , किंतु अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे।
आगे बढ़ने पर रास्ते में एक नाला आया। जिस को पार करने के लिए लंबी छलांग लगानी थी। सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार किया। किंतु नाला पार करने के दौरान गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक शिष्य गोपाल कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे। योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ?
गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य अमल नहीं कर रहा है। अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ। ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। एक शिष्य मदन उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा, किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया। क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया।
गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की। उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया। तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा। उसे अपनी गलती का आभास हो गया था।
सभी को समझ में आ गया था कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है। हमें अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी भी संकट में होने के बावजूद भी दूसरे व्यक्तियों से मदद कम से कम लेना चाहिए।
घोड़े की दोस्ती | Real Life Inspirational Stories in Hindi
एक शहर के तवेले में दो घोड़े रहते थे। दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे नजर आते थे। मगर पास जाने पर पता चलता था कि उनमें से एक घोड़ा अँधा था। अंधे होने के बावजूद भी घोड़ा के मालिक ने उसे अपने पास सुरक्षित और देखभाल के साथ रखता था।
अंधे घोड़े की सुविधा के लिए घोड़े के मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी। जिसकी आवाज सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता था।
घंटी की आवाज से अँधा घोड़ा उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता रहता। घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी को समझता था। वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता की वह उसके पीछे-पीछे आ रहा है।
बाड़े का मालिक दोनों घोड़े की मित्रता से बहुत प्रसन्न रहता था। वह जब भी दो लोगों के बीच आपस में लड़ाई करता देखता तो वह लोगों से अपने दोनों घोड़ेे की कहानी सुनाता और उन्हें एक संदेश देता। एक जानवर ना तो हमारी तरह बोल सकते और ना ही सुन सकते है फिर भी वह आपस में एक दूसरे की तकलीफ महसूस कर लेते है और वह आपस में मिल कर रहते है।
वह हम मनुष्य आपस में ईस्या और लड़ाई को भूल कर मिलकर क्यों ना रहे। उसकी बात सुनकर लोग अपना गुस्सा भूल जाते और उन्हें बात भी समझ में आ जाती की आपस में लड़ने के बजाय हम मिलकर रहे।
इस कहानी के माघ्यम से में आपको यह समझाना चाहती हूँ कि जरूरी नही की 24 घण्टे में हम जो कुछ भी बोले वह सामने वाले को पसंद ही आए। मगर कुछ बातें जो हमें पसंद ना आए उसे इगनोर कर के चले तो हमारी कभी भी किसी से लड़ाई ना हो।
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