Motivational Story For Kids – किसी को दुत्कारो मत

Motivational Story for Kids – किसी को दुत्कारो मत: एक समय की बात है, एक राज्य में एक महाराजा रहते थे। उनका नाम चिंतामणि था। उनके महल के पीछे एक बहुत ही बड़ा तालाब था। उस तालाब में बहुत ही सुंदर और रंगबिरंगे कमल के फूल खिला करते थे। उसी तालाब में बहुत से सुनहरे किस्म के हंस रहते थे। इनमें से हर एक हंस छः महिने के बाद सोने का एक पंख छोड़ता था।

राजा चिंतामणि का यह तालाब बहुत दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। आस-पास के राज्य से राजा और महारानियां इस तालाब को देखने के लिए दूर-दूर से आया करते थे।

एक बार उस तालाब में कहीं से एक सुनहरा पक्षी उड़कर आया। वहां दृष्य देखने के बाद उसने सोचा क्यों ना वह भी इसी तालाब के पास अपना घोसला बना लें।

मगर ये क्या? यह तो अभी सोच ही रहा था कि इतने में उसे देखते ही सारे हंस एक दम बोल पड़े- अरे कौन हो तुम? यहां कैसे चले आए?

एक साथ सारे हंस को बोलता देख पंछी घबड़ा गया- बोला अरे भैंया! मैं आपके साथ यहीं रहना चाहता हूं, मुझे भी यहां इस तालाब के आस-पास एक घोसला बनाने की इच्छा हो रही है। यह नजारा देखने के बाद मेरा मन कर रहा मैं भी यही रहूं।

तभी हंसों ने एक साथ बोला नहीं-नहीं तुम हमारे साथ नहीं रह सकते, क्योंकि हम हर छः महिने में एक-एक सोने का पंख राजा को देते हैं, इस तरह एक प्रकार से हमने यह तालाब खरीद लिया हैं।

पक्षी ने उनसे खूब आग्रह किया, किन्तु वे अहंकारी हंस तो उसे तालाब के किनारे पर भी नहीं बैठने देना चाहते थे।
यह देखकर नए पक्षी को गुस्सा आया। वो उसी समय राजा के पास जा पहुंचा और बोला- महाराज! क्या आपके राज्य में एक शरणार्थी को शरण नहीं मिलेगा?

मैं तो आपका एक बड़ा नाम सुनकर आपके राज्य में आया हूं, मैंने तो सुना था आप बहुत दयालु, नेक और रहमदिल हैं।

जिसके बाद राजा ने बोला- तो इसमें क्या शक है पक्षी! हम सदा शरण में आए की रक्षा करते हैं। जाओ, तुम हमारे शाही तालाब के पास जाकर रहो। तुम्हारे खाने-पीने का बन्दोबस्त भी राज्य की ओर से होगा।

मगर महाराज आपके तालाब के जो हंस है, उन्होने तो कहां कि हमारा राजा बड़ा लालची है और चूंकि हम उसे प्रत्येक छः माह बाद सोने का पंख देते हैं, इसलिए वह हमें शरण दिए हुए हैं। महाराज पर मेरे पास ऐसा कोई पंख नही जो मैं आपको दे सकूं।

महाराज ने पक्षी की बात सुनने के बाद बोले- देखो पक्षी उन हंसो के पास जो सोने के पंख आते है उसे ना तो वह खूद खा सकते और ना मैं उन पंखो की वजह से राज्य के कुछ गरीबों की मदद हो जाती हैं। उनको जो बोलना है बोलने दो मैं अपने राज्य के सभी मनुष्य से लेकर जानवर और पक्षी तक की मदद करने के लिए तैयार रहता हुं।

अगर आप चाहे तो आपके लिए हंसो के पास एक फरमान भेजवा देता हूँ कि आपको कोई परेशान ना करे तालाब के पास आप शाही मेहमान हैं।

महाराज की बात सुनते ही पक्षी बोला- महाराज में आपके राज्य में आया तो मेहमान बन के ही था। पर आपकी बातों को सुनने के बाद आपके राज्य में ही अपने बाकी जीवन बीताने का फैसला किया हूं, अगर आपकी आज्ञा हो तो।
महाराज पक्षी को अपने राज्य और तालाब के पास रहने की इजाजत दे दी और हंसो के पास जब यह फरमान पहुंचा तो उन्हें बड़ा दुःख हुआ।

हंसो ने जैसे ही सैनिकों को अपनी ओर आते देखा तो उनमें से एक बूढ़े हंस ने कहा- दोस्तों अच्छा होता की हम उस पंक्षी को यहां रहने दे देते, अब मालूम नही उसने ऐसा क्या जाकर महाराज के पास बोला जो उसे शाही मेहमानों की तरह उसके लिए भोजन और सुंदर सा घोसला भी वृक्ष के ऊपर लगाया जा रहा है। उस पक्षी ने अवश्य हमारे खिलाफ राजा के कान भरे होगें, तभी उसे इतनी सम्मान दिया जा रहा है।

अभी हंस आपस में बाते कर ही रहे थे कि एक सिपाही तालाब के किनारे आया और बोला- आप सभी हंसों को बताया जा रहा की वह पक्षी शाही मेहमान है और अब वह यही आपलोगों के बीच रहेगा, महाराज का यह संदेश है कि आपलोग सभी उसका पूरा ध्यान रखेगें। यह बोलकर सिपाही वहां से चला गया।

अब क्या था पक्षी इतरा कर कभी तालाब में बैठता तो कभी अपने घोसले को दूर से निहारता।

इस कहानी से यह शिक्षा  मिलती है कि किसी को दुत्कारों मत, मालूम नही कब कहां उससे आपकी मुलाकात हो जाए और आपको जीवन में पछताना पड़े।

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