भेड़िया आया भेड़िया आया | Best Hindi Story
एक गड़ेड़िया का बेटा था। उसका नाम रामू था। गड़ेड़िया काफी बिमार रहने लगा था। बिमारी के कारण वह जानवरों को चाड़ा दिलवाने पहाड़ों पर नहीं ले जा पा रहा था। एक दिन रामू ने अपने पिताजी को बोला आप घर पर रह कर आराम करों में जानवरों को इक्ठा कर उसे चाड़ाने ले जाया करूंगा।
गड़ेड़िया भी मन ही मन यहीं चाहता था। पर वह रामू को बोल नहीं पा रहा था। रामू सुबह-सुबह उठकर सारे गांव वालोें के बकरी, बछरे, भेड़ को लेकर पहाड़ों पर जाता और शाम तक उनको चराता और अंधेरा होने से पहले गांव वालों को उनके जानवर वापस कर देता।
इसके बदले गांव वाले रामू और उसके परिवार को अनाज और सब्जियां, थोड़े पैसे दे दिया करते थे। जिससे रामू के परिवार का गुजारा होता था।
रामू को एक दिन मस्ति सूझी उसने जोर-जोर से अचानक पहाड़ों पर से चिल्लाना शुरू कर दिया। भेड़िया आया, भेड़िया आया सारे गांव वाले रामू की आवाज सुन अपने खेतों और घरों का काम छोड़कर पहाड़ी की ओर भागे-भागे गए।
जब गांव के लोग पहाड़ी पर गए तो, रामू हंसने लगा और बोला, मैं तो यूहीं मस्ति कर रहा था। गांव वालों ने रामू को कुछ नहीं बोला और चुप-चाप पहाड़ी से वापस आ गए।
रामू कुछ दिनों के बाद फिर एक दिन चिल्लायां भेड़िया आया, भेड़िया आया। गांव वालों ने फिर रामू की आवाज सुन कर पहाड़ी के तरफ भागे-भागे गए। रामू जोर-जोर से हंसने लगा। इस बार गांव वालों को गुस्सां आया, रामू की हरकत पर सब ने रामू को डांट और फटकार भी लगाई।
शाम को रामू सभी जानवरों को गांव वालों को वापस कर जब घर गया तो रामू बहुत उदास था। रामू का यू उदास चेहरा देखकर रामू के पिता ने उसकी उदासी की वजह पूछी तो रामू ने सारी बातें बता दी उसके बाद रामू के पिता ने रामू को समझाया। ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा करोगें तो तुम लोगों का विश्वास खो दोगें।
रामू भी पूरी रात यहीं सोचता रहा कि अब वो ऐसी मस्ति कभी नहीं करेगा। अगले दिन रामू सभी जानवरों को इक्ठा कर फिर पहाड़ी पर गया। जैसे हि दोपहर का टाईम हुआ। पहाड़ों पर से बचाओ-बचाओं भेड़िया आया, भेड़िया आया की आवाज आने लगी।
आज गांव वाले हंस रहे थे, और आपस मैं बाते कर रहे थे यह नहीं सुधरेगा, फिर चिल्ला रहा हैं। रामू की आवाज धीरे-धीरे और तेज होने लगीं।
भेड़िया आया, भेड़िया आया कुछ गांव वाले आवाज सुन कर पहाड़ी पर खुद को जाने से नहीं रोक पाए।
गंवा वाले आज डंडा- लाठी लेकर पहाड़ी पर गए थे। अगर आज भेड़िया नहीं होगा तो इसी लठ से रामू की पिटाई करेगें। जब वह पहाड़ी पर जाते हैं तो देखते हैं सचमुच भेड़ियों का एक झुंड आया हुआ हैं।
रामू अकेले ही उनसे लड़कर जानवरों को बचाने की पूरी कोर्शिश का रहा हैं। गांव वालों को आता देख कर भेड़ियां वहां से भाग गया। रामू और कुछ जानवरों को भेड़ियां ने नोज लिया मगर किसी की जान नहीं गई।
रामू को अपनी झुठ का बहुत पचतावा हुआ। रामू के झुठ के कारण गांव वाले उसकी मदद को देर से पहुंचे थे। गांव वालों को रामू पर जो गुस्सा था वह खत्म हो गया। क्यों आज रामू बहादूरी के कारण जानवरों की जान बच गई।
इस कहानि से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि कभी झुठ नहीं बोलना चाहिए। किसी का विश्वास खोना आसान हैं, पर पाना मुस्किल बहुत ही मुस्कील होता है।
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