आज भले ही 4G का जमाना हो मगर बच्चे हिंदी में कहानी सुनना पसंद करते हैं. अच्छी और प्रेरणादायक कहानी से बच्चों को सीख मिलती है. इसी को ध्यान में रखकर आज बच्चों के लिए हिंदी में कहानी (Kahani in hindi for child) लाये हैं.
आधी रही न पूरी – और शेर भूखा रह गया |Kahani in hindi for child
सुन्दर वन नाम जंगल में एक शेर रहता था. एक दिन जब उसको बहुत जोरों की भूख लगी तो वह इधर उधर किसी जानवर की तलाश करने लगा. इसी क्रम में कुछ ही दूर पर शेर को एक पेड़ के नीचे एक खरगोश का शावक दिखाई दिया.
वह पेड़ के छाव में बड़े ही मजे से खेल रहा था. भूख का मारा शेर उस शावक को पकड़ने को दौड़ा. मगर खरगोश शावक ने शेर को अपनी ओर आता हुआ देखा तो अपनी जान बचाने के लिए कुलांचे भरने लगा.
मगर शेर की लम्बी छलांग का भला वह कैसे मुकाबला कर सकता था. शेर ने मात्र दो छलांग में ही उसे दबोच लिया. फिर जैसे ही उसने उसको गर्दन चबानी चाही, उसको नजर एक हिरन पर पड़ी.
शेर ने सोचा की इस नन्हे खरगोश से मेरा पेट भरने से रहा, क्यों न उस हिरण का शिकार किया जाए. यह सोचकर शेर ने खरगोश के शावक को छोड़ दिया ओर हिरण के पीछे लपका. खरगोश का बच्चा उसके पंजे से छूटते ही नौ दो ग्यारह हो गया. हिरण ने शेर को देखा, तो लम्बी-लम्बी छलांग लगता हुआ भाग खड़ा हुआ. शेर हिरण को नहीं पकड़ पाया.
हाय री – किस्मत. खरगोश भी हाथ से गया और हिरण भी नहीं मिला. शेर खरगोश के बच्चे को छोड़ने के लिए पछताने लगा. वह सोचने लगा की किसी ने सच ही कहा है जो आधी छोड़कर पूरी की तरफ भागते हैं, उन्हें आधी भी नहीं मिलती.
जाको राखे सइयां मार सके न कोई | Kahani in hindi for child
एक वृक्ष पर दो पक्षी बड़े आंनद से रहते थे. अपने ऊपर खतरे का उनको बिलकुल भी अहसास नहीं था. एक खतरा तो वह गिद्ध था, जो आसपास में उनके सिरों पर मंडरा रहा था. वह उन दोनों मासूम पक्षियों को अपना भोजन बनाना चाहता था. धीरे-धीरे वह नीचे आ रहा था. बिलकुल इस प्रकार की पछियों को पता न चले.
इधर पेड़ के नीचे एक शिकारी की भी उनपर नजर पड़ चुकी थी. वह भी उनका शिकार करना चाहता था. वह भी उन पक्षियों के सिरों पर मंडरा रहे गिद्ध से बेखबर था.
शिकारी ने के पेड़ से ओट लिया. तीर पर कमान चढ़ाया और खींच दिया. उसका निशाना था वो दो मासूम पक्षी.
शिकारी जिस पेड़ की ओट लेकर खड़ा हुआ था. उसकी जड़ में बनी बांबी में उन पक्षियों का मित्र एक बूढ़ा सांप रहता था. बुढ़ापे के कारण उनके शरीर में जान नहीं बची थी. ऊपर रहने वाले पक्षी भी उसका हाल जानते थे.
अतः सांप के बिना कहे ही वो दोनों उसके लिए जंगल से खाना खोज लाते और चुपचाप उसके बांबी के पास रखकर उड़ जाते थे.
सांप यह सब जनता था इसलिए वह उन दोनों पक्षियों को पिता जैसे प्यार करता था. उसने उस शिकारी को उनपर निशाना साधता हुआ देखा तो उसे बड़ा क्रोध आया कि शिकारी दो मासूमों की जान लेना चाहता है. उसने बिना एक छन्न की देरी किये शिकारी के पांव में काट लिया.
इससे शिकारी बुरी तरह बिलबिला गया. उसका निशान चूक गया और सीधा आसमान में नीचे उतरता हुआ गिद्ध को लगा. गिद्ध भी एक चीख के साथ नीचे आ गिरा. उधर, शिकारी भी धरती पर गिर का मर गया.
इस तरह दोनों को मौत हो गई. इस दौरान उन पछियों को पता ही नहीं चला की क्या हुआ. जबकि अपना काम करके सांप अपनी बांबी में चला गया.
इससे सिद्ध होता है कि दूसरों का भला करने वालों का अंत भी भला ही होता है. पछियों ने सांप के साथ भलाई की तो सांप ने भी उनकी भलाई का बदला भलाई से चुका दिया.
कछुआ की मूर्खता | Kachhua ki kahani in hindi
एक नदी में विकाश नाम का एक कछुआ रहा करता था।
कछुआ के पास एक मजबूत कवच होता है। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान उसकी कवच के कारण बची थी।
एक बार उसी नदी में एक भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विकाश पर पड़ गया था। फिर भी विकाश को कुछ नहीं हुआ। उसकी जान उसकी कवच ने बचाली थी।
विकास उससे काफी खुश हुआ? क्योंकि उसकी जान बार-बार बच रही थी।
यह कवच विकास को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए।
अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की कोई जरूरत नहीं है।
विकास ने अगले ही दिन कवच को नदी में छोड़कर नदी के आसपास घूमने लगा।
अचानक हिरण का एक झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरणियाँ अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।
उन हिरणियों के पैरों से विकास को चोट लगी , वह रोने लगा।
आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट लग रही थी।
विकास रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।
प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।
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