Kahani in Hindi | कहानी इन हिंदी | गधे की चालाकी: एक जंगल में एक गधा घास चर रहा था। वह रोज जंगल में आकर घास खाता और चला जाता। जंगल के किनारे ही उसके मालिक हरिया धोबी का घर था।
गधा जंगल की हरी-हरी घास खाकर बहुत खुश रहता था। आज तक जंगल में कोई खतरा उसके सामने नहीं आया था। मगर आज उसे झाड़ियों में से कुछ सरसराहट सुनाई दी। गधे ने जब सर उठा के देखा तो वह सन्न रह गया। एक बाघ उसके सामने झाड़ियों के पीछे से निकल कर खडा हो गया।
गधे ने सोचा आज तो मारे गए पर वह भी चालाक गधा था, सोचा मरना तो ही क्यों ना एक बार जीने का चांस लीया जाए और अपनी जगह से बिना हिले कुछ सोचने उसके बाद उसने डरना छोड़ा और लंगड़ा-लंगड़ाकर चलने लगा।
बाघ उसके पास आ गया और बोला क्यों वे गधे, तेरे पैर में क्या हुआ? क्यूं लंगड़ा कर चल रहा है तू।
गधे ने बोला- क्या बोलूं महाराज, मेरे पैर में मोटा लम्बा कांटा चुंभ गया है, इसके कारण मेरा यह हाल हो गया।
अगर आपका इरादा मुझे खाने का हो तो, पहले मेरे पैर से आप यह कांटा निकाल दें, नहीं तो मुझें खाते वक्त यह कांटा आपके मुंह में फंस गया तो आपकी जान भी जा सकती हैं।
बाघ ने कहा कि यह तो बिल्कुल ठीक रहा है, कहां कांटा है? गधे की बात पर भरोसा कर बाघ ने पूछा।
गधे ने पलटकर अपनी पिछली पैर उसके मुंह की ओर कर दिया। बाघ ने कांटा ढूंढ़ना शुरू किया।
ऐसे में तो गधे ने मौका पाते ही कसकर एक दुलत्ती उसके मुंह पर जोर से मारी और भाग खड़ा हुआ।
दुलत्ती पड़ते ही बाघ के मुंह से चीख निकल गई। बाघ के आगे के दांत टुटकर उसके मुंह में गिर पड़े। दर्द से बाघ कराहने लगा और बोला ओह धोखेबाज! अब तुझे कभी जिंदा नहीं छोडूंगा। मैं भी कैसा मूर्ख हूं, एक गधे से मात खा गया।
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