आज हम कबूतर और मधुमक्खी की कहानी (Kabutar aur madhumakkhi ki kahani) की कहानी पढ़ेंगे। आपको इसके साथ ही दो अलग-अलग मिलता जुलता कहानी भी पढने को मिलेगा। जो कि मधुमक्खी की कहानी ही है. आपको पढ़ने के बाद कैसा लगा, कमेंट में लिखकर जरूर बताइयेगा।
कबूतर और मधुमक्खी की कहानी
चिड़ियां और मधुमक्खी की कहानी | Chidiya aur madhumakkhi ki kahani
एक बगीचे में बहुत सारे आम का पेंड था। उसी बगीचे में काफी साल पुराना और बहुत ही विशाल एक नीम का पेड़ था। नीम के पेड़ पर मधुमखियों ने एक अपना घर बना रखा था।
उस पेड़ की डाल पर एक चिड़िया हमेशा आकर बैठा करती थी। वह डाल बगीचे से बाहर निकली हुई थी। उस डाल के नीचे से नदी गुजरती थी।
चिड़िया खाना खाने के बाद हमेशा वहां पानी पीती और आराम करती थी। मधुमखियों में से एक जो उन सब का बाॅस था उसको यह चिड़िया बिलकुल भी पसंद नहीं था। वह सोचती कहीं यह चिड़िया भी यहां घोसला डालकर रहने ना लगे। उसके बाद यह हमारे घर को नुकसान ना पहुंचाए।
चिड़िया जब थोड़ी देर आराम कर लेती तो वह वहां से उड़ जाती थी। एक दिन चिड़िया शाम तक वहीं बैठी रही यह देखकर मधुमक्खी का बाॅस था उसे बहुत गुस्सा आया। और वह बोला आज तो हद ही हो गई यह जा क्यों नहीं रही हैं।
अभी मैं इसे मजा चकाती हूं। यह बोल कर चिड़िया के पास जैसे हि मधुमक्खी पहुंचती हैं। अचानक हवा तेज चलने लगती हैं। गुस्से से बोखलाई मधुमक्खी जो चिड़िया के पास आ रही थी नदी में जा गीरती हैं।
चिड़िया की नजर जैसे हि उस मधुमक्खी पर पड़ी उसने तुरंत आम के पेड़ का पत्ता नदी में फेंका। मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई और नदी के किनारे आ गई।
यह देखकर चिड़िया खुश हुई, जब हवा रूकी तो मधुमक्खी चिड़िया के पास गई और उसने उस चिड़िया को धन्यवाद दिया। और उनदोनों की पक्की वाली दोस्ती हो गई।
इस कहानि से हमें यह शिक्षा मिलती हैं किसी को आप देखकर वह कैसा हैं यह विचार कभी भी नहीं बनाना चाहिए जब तक आप उसे खुद परख ना लेते जरूरी नही की जो आप किसी के बारे में गलत सोच रखते हो सामने वाला इन्सान बुरा हो वह अच्छा भी हो सकता हैं। जो निः स्वार्थ किसी कि मदद भी करता हो।
आलसी मधुमक्खी की कहानी | Madhumakhi ki kahani hindi
एक मधुमखीयों का बहुत बड़ा झुंड था। उसमें सारी मधुमक्खीयां एक साथ मिलकर रहती थी। उन सब में एक मधुमक्खी बहुत आलसी थी।
बाकी मधुमक्खियों से बिल्कुल अलग थी। उसे काम करना बिलकुल पसंद नहीं था। झुंड में रहती थी तो काम भी बहुत कम ही किया करती थी, पर उसे ऐसा लगता कि वह सबसे ज्यादा काम करती हैं।
एक दिन जब वह सारे मधुमक्खीयों के साथ फूल के बगीचे में गई तो उसने वहां तितली को देखा और सोचने लगी। यह तितलीयां काम कम करती हैं, तभी इतनी सुंदर दिखती है।
सारे लोग इसे इतना पसंद करते हैं। इसकी सुंदरता के कारण उसने सोचा क्यों न आज से मैं इन तितलीयों से दोस्ती कर लूं और इनके साथ ही रहा करूगीं।
वह पुरा दिन बगीचे में तितलीयों के पीछे-पीछे घुमने में ही निकाल दिया। सुबह से एक बार भी ना तो किसी फूल पर जाकर बैठ रस पिया और ना ही कुछ खाया। वह सारा दिन भुखे प्यासे तितलीयों के साथ इघर-उधर घुमता ही रह गया। शाम को जब घर जाने का टाईम हो गया। तो उसे भूख का ऐहसास हुआ। फिर उसने सोचा आज सब के साथ लोट जाता हूं घर पर तो मुझे रस खाने को मिल ही जाएगा।
तितलीयों के साथ कल से रह लूंगा। जब वह घर पहुंचा तो जब सारे मधुमक्खी रस रख रहे थे तो ये उन्हें खाने में बिजी था। सुबह हुई सारे मधुमक्खी फिर रस की तलास में निकले तो आज सब कहीं और जा रहे थे।
मगर ये आलसी मधुमक्खी कल वाली जगह पर अकेला ही चला गया। और तितलीयों के साथ खेलने लगा। अचानक जोरो की वर्षा होने लगी। सारी तितलीयां फूल की निचे छूप गए। मधुमक्खी भी उनको देखकर फूल के निचे छूप गई। मगर उसने देखा थोड़ी देर में तितलीयां वहां से चली गई।
मधुमक्खी को अपने दोस्तों की याद आने लगी की वर्षा के पहले ही सब लोग इक्ठा घर वापस चले जाते थे। मधुमक्खी यहां बिल्कुल ही अकेला रह गया। उसे अब अपने लोगों की याद आने लगी। उसे अपने गर्म घर की भी याद आ रही थीं। क्यों की अब मधुमक्खी को ठण्ड भी लगने लगी।
फूल में जब पानी का वजन बढ़ा तो फूल टूट कर निचे जमीन पर गिरने लगा। मधुमक्खी को अब छूपने की कोई जगह समझ नहीं आई। तो वह वर्षा में हि घर जाने लगा। मधुमक्खी रोते-रोते आपने घर आपने दोस्तों के पास वापस चली जा रही थी। और वो पूरा रास्ता यहीं सोच रही थी। कितना भी काम क्यों ना करना पड़े। अब मैं अपने घर को छोड़ कर कभी नहीं जाउंगा।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं। खुशी हो या कितनी भी मुस्कीलें क्यों ना हो हमें अपने परिवार के साथ हि रहना चाहिए।
अकेले कहीं भी नहीं जाना चाहिए। नये दोस्त बनाना ठिक हैं मगर नये दोस्त बनाकर पुराने दोस्तों को छोड़ देना ऐसा सोचने गलत हैं।
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