Jadui duniya ki kahani in hindi | जादुई दुनिया की कहानी

Jadui duniya ki kahani in hindi – एक शहर में एक हैरी नाम का लड़का रहता हैं। उसके माता-पिता का देहान्त एक कार दुर्घटना में बचपन में ही हो जाती हैं। हैरी का पालन-पोषण की जिम्मदारी उसकी इकलौती मौसी लेती हैं।

हैरी की मौसी के पास भी एक हैरी की उम्र का ही बेटा रहता हैं जिसका नाम उमर हैं। हैरी की मौसी हैरी को बचपन में घर लेकर आती जरूर हैं मगर वो उसकी मां नहीं बल्कि घर की मालकीन बनकर।

हैरी की मौसी का आदमी एक राशन की दुकान चलाता है। ज्यादा पैसे उनके पास नहीं होते है। हैरी के माता-पिता दोनों सरकारी नौकरी वाले थे। और उन्होने कम उम्र में ही काफी घन इकठा कर लिया था हैरी के भविष्य के लिए।

हैरी की देख-रेख करने की जिम्मेदारी उसकी मौसी इसलिए लेती है। ताकी हैरी के माता-पिता के घर में वो रह सके। और उनकी दौलत पर वो अपनी जिंदगी अच्छे से काटे।

हैरी की जरा भी ध्यान नही रखती उसकी मौसी ने उस घर के सारे नौकर को नौकरी से निकाल दिया। हैरी मात्र पांच साल का ही था। और उसकी मौसी उससे पूरे घर की सफाई और खाना बनवाया करती थी।

इतना ही नहीं अपने बेटे उमर को उसने स्कूल में दाखिला करवा दिया। और हैरी जो पहले से ही स्कूल जाता था। उसका नाम स्कूल से कटवा दिया।

हैरी अपनी मौसी के इस व्यवहार से बहुत परेशान और रोता, बिलकता रहता था। उसे अपनी मां और पिता की याद आती थी। हैरी पुरा दिन घर का काम करता तो उसे सबके खाने के बाद ही उसे कुछ खाने को उसकी मौसी देती थी।

हैरी के पिताजी को कुछ जादूई ज्ञान आती थी। जिसके बारे में उसकी मौसी और उसकी मां को भी मालूम था। हैरी को भी उसके पिता के घर जन्म लेने पर उसे जादूई ज्ञान उपहार के रूप में पहले से हि प्राप्त था।

पर जादू जैसी कोई चीज भी होती है। वह छोटे और नादान हैरी को मालूम नहीं थी। पर उसकी मौसी को हैरी की जादूई शक्तियां पहले से हि मालूम थी तभी उसने हैरी को स्कूल जाने से रोक दिया था।

अगर हैरी कोई जादू जैसी चीज स्कूल या किसी और के सामने ना कर दें। उसकी मौसी हमेशा इस बात का ध्यान रखती की कोई भी बाहर का इंशान हैरी से ना मीले।

मौसी यह भूल गई थीं। हैरी को आप अब तक बंद कर रखोगें धीरे-धीरे हैरी दस साल का हो गया। हैरी के पिता ने हैरी की दाखिला जादूई स्कूल में पहले से हि दाखिला करवा रखा था। हैरी जब दस साल का हुआ। तो उसे लेने जादुई स्कूल जाना होगा। स्कूल से कम से कम आठ चत्र भेजे गए। मगर उसकी मौसी ने सारे पत्र को जला दिया। और सोचा यदी सह स्कूल जाएगा तो घर का काम कौन करेगा।

फिर जादूई स्कूल से खूद वहां के टिचर हैरी को लेने आए। हैरी की मौसी ने हैरी को स्कूल भेजने से मना कर दिया और टिचर को बोला यह हैरी खूद स्कूल जाना नहीं चाहता।

टिचर ने हैरी से मिलने को बोला पर उसकी मौसी ने हैरी को एक कमरे में बंद कर रखा था। टिचर तो खूद एक जादूगर थे उन्हें मालूम था यह सब हैरी नहीं बल्कि ऐसा उसकी मौसी चाहती हैं।

टिचर ने अपनी जादू की शक्ति से हैरी का दरवाजा वही से खोल दिया। हैरी कमरे से सिधा निकल कर टिचर के पास आ गया। हैरी टिचर से मिला और टिचर ने उससे बात की और उसके माता-पिता क्या चाहते थे। सारी बाते हैरी को बताई हैरी तुरंत टिचर के साथ जाने को तैयार हो गया। वह उस घर से जादूई नगरी जाना चाहता था। जहां उसके माता पिता उसे भेजना चाहते थे।

मौसी ने लाख कोशीस की हैरी ना जाए पर वह बिल्कुल भी अपनी मौसी के पास नहीं रूका और मौसी को अलविदा कर टिचर के साथ चल पड़ा।

हैरी को जादूई शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं मालूम होता है। वह अपने टिचर से पूरे रास्ते एक ही सवाल बार-बार दोहराता रहता है। की उसे जादू के बारे में कुछ नही मालूम क्या वह कर पाएगा। अगर कुछ नही कर पाया तो उसे वापस यही उसकी मौसी के पास तो नहीं भेजा जाएगा।

टिचर उसकी बातें सुन रहे थे, और मुस्कुरा रहे थे। हैरी को ये अच्छा नहीं लगा की टिचर ने उसकी बातों का जवाब ना देना था तो ठिक है। पर मुझ पर हंस क्यों रहे हैं।

टिचर ने कहा मंै तुम पर नहीं हंस रहा, हैरी को लगा ये उसकी मन मैं क्या चल रहा है, सब जान गए। टिचर ने फिर उसे समझाया की आज तक जो तुम अपनी मौसी के साथ रह कर घर की पूरी सफाई और सारा काम जो किया करते थे। तुम्हें क्या लगता है। वह तुम किया करते थे, नहीं हैरी वह सब तुम अपनी जादूई शक्तियों से और जादू से ही कर रहे थे।

भला पांच साल की उम्र में कोई बालक यह काम कर सकता हैं क्या? फिर टिचर ने रास्ते में पांच साल और छः साल, सात साल के बच्चें की दिखाया। पर यह हैरी मान ही नहीं पा रहा था की वह जादूई शक्ति के बारे जानता भी है।

पर वह जैसे-जैसे टिचर के साथ चलता जा रहा था वैसे-वैसे उसे अपनी शरीर में कुछ नई उर्जा और शक्तियों का एहशास हो रहा था। आखिर में हैरी अपने पिता के दाखिल करवाये जादूई स्कूल में पहुंच जाता हैं। और बहुत खुश होता है। वहां अपने उम्र के बच्चों के साथ दोस्ती कर स्कूल में पढ़ना, जादू सीखना और जादूई दूनियां में उसे आकर मानों उसके जिवन में एक लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

वह सोचता है। वह अपने पिता के अधूरे सपने को जरूर पूरा करेगा।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है। यदी आपने जिवन में आए मुसिबतों पर धैर्य रखें तो सब कुछ दिनों के बाद ठिक हो जाता है। हैरी की तरह किसी ने सच हि कहां है। जिवन सड़क की रेड लाईट की तरह होती है। जिवन में रूक-रूक कर ही चलना पड़ता है।

यह भी पढ़ें-

Spread the love

हम लाते हैं मजदूरों से जुड़ी खबर और अहम जानकारियां? - WorkerVoice.in 

Leave a Comment

error: Content is protected !!