Inspirational Story for Students in Hindi | मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स -स्वार्थी से दूरी भली- एक जंगल में एक बहुत बड़ी नदी बहती थी। उस नदी का पानी बहुत मीठा था। उस के तट पर एक जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक बंदर अकेला रहता था। उस बंदर का ना तो कोई मित्र ना ही कोई रिश्तेदार ही था।
एक दिन एक मगरमच्छ नदी से निकल कर रेत पर लेटा हुआ था। बंदर भी अकेला उस पेड़ पर बैठा हुआ था। बंदर ने मगरमच्छ को पानी से बाहर देख पूछा-मगरमच्छ भैया, क्या आप मुझसे दोस्ती करोगें?
मगरमच्छ ने बंदर से कहा- क्यों नहीं करूंगा दोस्ती? तुमसे दोस्ती करूंगा तो मुझें लाभ ही होगा। मुझें भी स्वादिष्य धरती पर पैदा हुआ फल खाने को मिलेगा।
बंदर इतना सुनते ही तुरंत जामुन की एक डाल को जोर से हिलाना शुरू किया। नीचे जमींन पर मीठे-मीठे जामुन गिरने लगें, मगरमच्छ जमींन पर घुम-घुमकर जामुन खाने लगा।
यहीं से बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती शुरू हो जाती है। बंदर जंगल घुमने जाता तो कुछ खाने को अगर उसे मिलता तो वह पेट भर खा लेता और वापस आते हुए अपने दोस्त मगरमच्छ के लिए भी लेता हुआ आता।
बंदर जब मगरमच्छ से मिलता तो जंगल में आज उसने अपना दिन कैसे बिताया सब कुछ उसको बताता, और उसे फल भी खाने को देता, क्यों की बंदर को मालूम था कि उसे फल बहुत पसंद है।
मगरमच्छ तो मगरमच्छ ही ठहरा एक दिन वह पानी के अंदर अपने घर में अपने परिवार वाले को अपनी और बंदर की दोस्ती की कहानियां सुना रहा था।
बंदर बहुत अच्छा और सच्चा मित्र है वह इतना अच्छा है तो उसका दिन खाने में कितना अच्छा होगा। मगरमछ ने कहा तो उसके परिवार वाले बोले वह तो खाने के बाद ही मालूम होगा। क्यों ना उस बंदर को आप घर घुमाने के लिए लेकर आव और हम सब उसकी दावत करें।
मगरमच्छ ने बोला- मगर वह पेड़ से नीचे आता ही नही है मैं उसे पानी के अंदर कैसे लेकर आउंगा? दूसरे दिन मगरमच्छ जब बंदर से मिला तो उसने कहा- भैया आज मेरी पत्नी ने तुम्हें खाने की दावत दी हैं।
बंदर ने आश्चर्य से मगरमच्छ की ओर देखा! और बोला मैं तुम्हारे घर नहीं जा सकता तुम्हारा घर तो पानी के अंदर है।
मगरमच्छ ने कहा- तुम मेरी पीठ पर बैठ कर सागर में चलना उसके बाद मेरे घर दावत कर लेना उसके बाद मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बिठा कर वापस छोड़ दूंगा।
बंदर भी कुछ सोचे बिना पेड़ से नीचे आया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ कर सागर में जाने लगा। मगरमच्छ के मन मैं एक ही बात बार-बार आ रही थी वह अपने मित्र को बता दे कि वह आज उसकी दावत करेगा अपने परिवार के साथ, जैसे ही मगरमच्छ को लगा वह पानी के काफी अंदर आ गया है। मगरमच्छ ने बंदर को कहा- भाई मुझें माफ कर देना, बंदर के कहा क्या हुआ?
मगरमच्छ ने कहा- आज मैं तुम्हें दावत करवाने नही, बल्कि आज मैं और मेरे परिवार वाले तुम्हें मार कर तुम्हारी दावत करेगें। क्योंकि तुम इतने अच्छे हो तो तुम्हारा दिल कितना अच्छा और मिठा होगा वह मुझें खाना है।
बंदर मगरमच्छ की बात सुनते ही सुन्न रह गया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वह अपनी जान इस मगरमच्छ से कैसे बचाए। अचानक उसने मगरमच्छ से कहा, भाई तुम बहुत अच्छे मित्र हो, तुम अपनी दोस्ती बहुत अच्छे से निभा रहे हो। मगर तुम से एक गलती हो गई। मगरमच्छ ने बंदर से पूछा क्या?
बंदर ने कहा- तुम मुझें यह बात पहले बता देते, तुम्हें मेरा दिल खाना है, तुम पानी के इतने अंदर आने के बाद बोल रहे हो!
तुम्हारे साथ आने के पहले मैंने अपना दिल निकाल कर पेड़ पर रख दिया था, वह तो वहीं छुट गया। वापस चलों मैं उसे अपने साथ लेकर आता हूं। नहीं तो तुम्हारा मुझें अपने साथ ले जाना व्यर्थ हो जाएगा।
इतना सुतने ही मगरमच्छ सागर से वापस आने लगा। जैसे ही वह किनारे पहुंचा वैसे ही बंदर छलांग लगाकर पेड़ पर चढ़ गया और मगरमछ से बोला, जा धोखेबाज मित्र! जा वापस चला जा, कहीं कोई प्राणी जिस्म से दिल अलग रखता हैं। तुम्हारे जैसे स्वार्थी दोस्तों से दूरी भली।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है किसी भी अनजाने लागों से दोस्तों सोच समझ कर करनी चाहिए, नही तो आपकी जान खतरे में पर सकती हैं।
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