Cinderella ki Kahani: एक गांव में सिंड्रेला नाम की लड़की रहती थी। वह देखने में अत्यधिक सुंदर थी। सिंड्रेला अपने माता-पिता के साथ बड़े ही दुलार और प्यार में रहती थी।
सिंड्रेला की कहानी | Cinderella ki Kahani in Hindi
एक दिन उसकी मां की तबीयत अचानक खराब हुई और वह गुजर गई। मां के मरने के कुछ ही दिनों बाद सिंड्रेला के पिताजी ने दुसरी शादी कर ली। सिंड्रेला की सौतेली मां की दो बेटियां थी।
सौतेली मां की दोनों बेटियों में सिंड्रेला ज्यादा सुदंर थी। इस बात से उसकी सौतेली बहनें सिंड्रेला से बात नहीं करती थी।
सिंड्रेला की नई मां बुहत ही अच्छी मां बन कर रही और उसका बहुत ही ज्यादा ध्यान रखी।
यह देखकर सिंड्रेला की पिताजी की सारी चिंता दूर हो गयी। वो सोचने लगा सिंड्रेला की नई मां उससे बहुत प्यार करती है।
पर वह ये नहीं जानते थे कि यह सब सिंड्रेला की नई मां सिर्फ उसके पिताजी का भरोसा जीतने के लिए कर रही थी।
एक दिन सिंड्रेला के पिताजी को अपने काम के सिलसिले में दूर प्रदेश जाना था और वह महीनों तक लौट कर नहीं आने वाले थे।
यह बात जब सिंड्रेला को उसके पिताजी ने बताया तो सिंड्रेला परेशान हो कर रोने लगी। सिंड्रेला के पिताजी ने फिर उसेे समझाया उसकी नई मां उससे प्यार करती है।
उसका पुरा ध्यान रखेंगी। पिताजी को तीन-तीन बेटियों की शादी की जिम्मेदारी है। यह उन्हें पूरा करना है। अगर सिंड्रेला उनका साथ नहीं देगी तो यह वह नहीं कर पायेंगे।
सिंड्रेला अपने पिता की बात सुनने के बाद, उन्हें अपना काम जल्दी खत्म कर लौटकर आने को कहा। पिताजी ने भी उसे जल्दी आने का वादा कर अगली सुबह ही अपने काम के लिए गांव से चले गए।
पिताजी को घर से जाते ही सिंड्रेला की सौतेली मां और उसकी दोनों बेटियों ने अपना वास्तविक रूप दिखाना शुरू किया।
सिंड्रेला को उसके कमरे से बाहर कर उसे अटारी में रहने के लिए और एक दुर्लभ विस्तर पर सोने के लिए मजबूर किया।
इससे भी बढ़कर उनकी नई मां ने सिंड्रेला की कीमती और खुबसूरत कपड़े तक उससे ले कर अपने बच्चों को दे दिए।
सौतेली मां ने सिंड्रेला को कहा आज से तुम्हें घर के सारे काम करने होगें तो तुम्हें अच्छे कपड़े पहनने की आवश्यकता नहीं है।
सिंड्रेला सौतेली मां का यह रूप देख अकेले में अपनी मां और पिताजी को याद कर रोने लगी तभी उसकी दोनों सौतेली बहने सिंड्रेला के पास आई और बोली तुम पहले खाने के लिए खाना बना दों उसके बाद रो लेना।
अब तुम्हारे पास रोने के अलावा बचा ही क्या हैं? यह बोल कर दोनों सिंड्रेला पर जोर-जोर से हंसने लगी।
तब से सिंड्रेला ने ना केवल घर के सारे काम किए बल्कि सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत की।
सिंड्रेला को भी घर का काम नहीं आता था। फिर भी उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। वहीं इसके विपरीत सिंड्रेला की दोनों बहनों घर में एक चम्मच तक नहीं उठाते थे।
घर का सारा काम करते-करते सिंड्रेला का चेहरा धूल से मैला होता चला गया। अब वह पहले की तरह सुदंर भी नहीं दिखती थी। फटे-पुराने कपड़े पहनती और बहुत ही गंदी दिखती थी।
यह देखकर उसकी सौतेली मां और उसकी दोनों बहने बहुत खुश होती थी। एक दिन उसकी बहन और उसकी मां सिंड्रेला का मजाक उड़ा रही थी। तुम कितनी गंदी और बुरी दिखती हो। तुम पर ये सिंड्रेला नाम अब बिल्कुल ही नहीं जँचता।
सिंड्रेला एक कोने में खड़ी चुपचाप इनकी बातें सुन रही थी। सिंड्रेला को खाना उन तीनों के खाने के बाद ही देती थी।
एक दिन सिंड्रेला को भूख लगी थी। उसने मां को बोला मुझे आज बहुत जोरों की भूख लगी है। आज मैं भी आपके साथ ही खा लूं।
उसकी मां उस पर नाराज होकर बोली बिल्कुल भी नहीं तुम्हें हमारे भोजन खाने के बाद ही खाने की अनुमति है।
पूरे दिन घर मैं रहने से सिंड्रेला का कोई दोस्त नहीं था। वह केवल अटारी में रहने वाले दो चूहों के साथ और खिड़की पर आने वाली एक गोरैया पंछी से दोस्ती कर रखी थी।
उसके पास खाने के लिए कम भोजन होने के वावजूद वह अपने चूहे और गोरैया को अपने खाने में से ही खाना खिलाती थी।
एक दिन उस राज्य के राजा के जलसे की एक घोषणा करने के लिए सिपाही को अपने राज्य में कहा, जो की महल में होने वाला था।
सिपाही सभी गांव-गांव जाकर घोषणा कर रहे थे। नये साल पर राज्य के राजा ने सभी कुवारी कन्यां को अपने महल में परिवार सहित आमंत्रित किया है। जिस कन्या को राजकुमार पसंद करेगें। उससे राजकुमार का विवाह हो जाऐगा।
यह सुन कर सभी कन्यायें और उसके परिवार वाले खुश हो रहे थे। यह घोषणा सिंड्रेला ने भी सुना और मन-ही-मन बहुत प्रसन्न हुई।
सौतेली दोनों बहनें भी यह सुन कर खुश थी तभी सिंड्रेला वहां आती है और मां से पूछती है। क्या वह भी इस जलसे में उनके साथ महल जा सकती है?
मां ने मुस्कुराते हुए बोली क्यू नहीं अगर तुम मेरी दोनों बेटियों को रानी की तरह तैयार कर दो तो मैं तुम्हें अपने साथ महल जरूर ले जाउंगी।
सिंड्रेला मां की बात सुन खुश हुई और बोली जरूर में इन दोनों को तैयार कर दुंगी। अगले दिन ही जलसे के लिए जाना था। सिंड्रेला उस दिन जल्दी उठ गई और घर का सारा काम खत्म कर ली। उसके बाद उसने दोनों बहनों के साथ-साथ मां को भी तैयार कर दिया।
उसके बाद जब उसके तैयार होने की बारी आई तो तीनों ने सिंड्रेला को धक्के मार-मार कर अटारी के अंदर कर बाहर से दरवाजा बंद कर चाभी अपने साथ ही ले कर चलें गए।
सिंड्रेला खिड़की पर बैठ रो रही थी। उसके दोनों चुहें और गोरैया उसे चुप करा रहे थे और बोल रहे थे कि तुमने उन तीनों पर भरोसा कैसे कर लिया कि तुम्हें अपने साथ ले जाएगें। वो भरोसा के बिल्कुल ही लायक नहीं है।
तभी खिड़की के पास अचानक बहुत तेज रोशनी हुई। सिंड्रेला के पास एक परी आयी।परी ने सिंड्रेला की रोने की वजह पूछा तो उसने अपनी सारी बातें परी को बता दिया।
परी मुस्कुराई और अपनी छड़ी घुमाई और उसके बगीचे के एक कद्दू से उसका रथ बना दिया। उसके बाद दोनों चुहों को घोड़ा और गोरैया को रथ का चालक बना दिया।
परी ने एक बार फिर अपनी छड़ी घुमाई और सिंड्रेला को ड्रेस राजकुमारी की तरह पहना दिया और कांच के जूते भी वह काफी चमचम कर रहे थे।
सिंड्रेला अपने कपड़े और जूते को देख बहुत खुश हुई। परी ने सिंड्रेला को जाते- जाते एक बात बोली बेटी मेरी जादुई शक्ति केवल आँधी रात तक हैं। तुम उससे पहले जलसे से लौट आना नहीं तो सब पहले की तरह हो जायेगा।
सिंड्रेला ने परी को धन्यवाद बोली और महल के जलसे के लिए रथ में बैठ वहां से चली गयी।
सिंड्रेला जब महल में पहुंची तो, महल में जितने लोग थे सब की नजरें उस पर ही थी। सिंड्रेला को पार्टी में देखते ही उसकी मां और बहनें उस पर नाराज होने लगी।
तभी महल के राजकुमार उसके पास आए और सिंड्रला अपने साथ डांस करने के लिए ले गए। राजकुमार ने सिंड्रेला को देखते ही उसके साथ शादी करने का फैसला मन ही मन कर चुके थे।
डांस करते-करते अचानक सिंड्रेला की नजर घड़ी पर गई 12 बजने में सीर्फ पांच मिनट ही बचे थे। सिंड्रेला राजकुमार से अपना हाथ छूरा कर भाग कर महल के बाहर आई और रथ में बैठ कर वहां से चली गई। जल्दी-जल्दी में सिंड्रेला के पांव का एक जूता वही महल के सीढ़ियों पर छूट गया था।
राजकुमार ने वह जूता उठा लिया और उन्होंने यह फैसला किया। जिस के पांव में यह जूता आएगा वह उसी के साथ अपना विवाह करेगें।
राजकुमार सिपाहियों के साथ अपने राज्य के सभी घरों में जूता लेकर जा चुके थे। वह जूता किसी के पैर में भी नहीं आया।
एक अंतिम घर सिंड्रेला की ही बचा था पर उसकी मां ने उसे कमरे में बंद कर रखा था।
दोनों बहनों ने भी जूता पहनकर देख लिया। उनके पैरों में भी जूता नहीं आया तभी मायूस राजकुमार ने पूछा की क्या आपके घर में और कोई लड़की हैं।
उसकी मां ने साफ मना कर दिया। उसने बोला नहीं मेरी यहीं दो बेटियां है। राजकुमार सिपाहियों के साथ मायूस लौट रहे थे तभी उपर अटारी से कुछ आवाजें राजकुमार को सुनाई पड़ी।
राजकुमार सिपाहियों को वहां जा कर देखने को बोले पर सिंड्रेला की मां उन्हें जाने से रोकने लगी। राजकुमार खुद अटारी के पास जाकर उसका ताला खोले तो देखा उसमें सिंड्रेला को उसकी मां ने बंद कर रखा था।
सिंड्रेला ने फिर वह जूता अपने पैर में डाला तो वह जूता उसके पैर में आ गया। राजकुमार सिंड्रेला को लेकर अपने महल चले गए।
सिंड्रेला से राजकुमार ने विवाह कर लिया और उसकी मां और बहनों को कारागार में डाल दिया। सिंड्रेला के जीवन में सचमुच का एक राजकुमार आया और उसे अपने साथ महल ले गया।
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