बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी | Best Motivational Story | मेहनत और भक्ति में फर्क : एक गांव में दो भाई रहते थे, उनका नाम सोनू और मोनू था। उनके माता-पिता एक किसान थे, जो अब इस दुनियां में नहीं थे।
वे दोनों भाई भी अपने माता पिता की तरह अपने हि खेतों में खेती का काम किया करते थे। और जो फसल उगती उसे शहर में ले जाकर बेच देते थे और उसी से अपना गुजारा करते थे।
दोनों भाईयों में बहुत ही गहरी मित्रता थी। मोनू बहुत ही धार्मिक व्यक्ति था, वह हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहता था, जबकि सोनू बहुत ज्यादा ही मेहनती था। एक बार दोनों ने अपनी जमीन मे चने का फसल उगाने के बारे में सोचा, जिसके बाद वह एक अच्छा सा घर बनाना चाहते थे। चने की खेती में उन्हें ज्यादा पैसे मिलते।
दोनों भाईयों ने शहर जाकर चने की खेती के लिए बीज खरीद लिया। सोनू दिन रात खेत में मेहनत करता और मोनू मंदिर में रोजाना जाकर फसल अच्छी होने के लिए भगवान से प्रार्थना किया करता।
इसी तरह कुछ दिन बाद फसल पक गयी। फसल पकने के बाद सोनू ने उसकी कटाई भी अकेले ही की, उसने चने को एक बैल गाड़ी में डाला और शहर के बाजार में जाकर बेच दिया। सोनू को फसल की अच्छी कीमत मिली।
सोनू ने घर आने के बाद मोनू से कहा कि इसमें से मेरा ज्यादा हिस्सा है, क्योकिं मैंने दिन रात एक करके खेत को खाद पानी देकर फसल उगाई है।
लेकिन यह बात सुनकर मोनू गुस्से में आग बबूला हो जाता है, और कहने लगा की धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए, क्योकिं मैंने अपने खेत में अच्छी फसल होने के लिए भगवान से प्रार्थना की है। और जब तक भगवान की मर्जी ना हो तब तक कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। दोनों इसी बात को लेकर लड़ने लगे, यह बात अब गांव के मुखिया तक पहुंच गयी।
गांव के मुखियां ने दोनों भाईयों की सारी बातें सुनने के बाद एक फैसला किया। मुखिया ने दोनों भाईयों के लिए दो बोरी चावल मंगवाई और कहा तुम दोनों एक-एक बोरी अपने साथ घर ले जाओं। और कल चावलों के बीच छोटे-छोटे कंकड़ मिले हुए है। उसे चावलों से अलग कर के कल सुबह तक चावल और कंकड़ अलग-अलग करके लेकर आओ, फिर में सुबह फैसला करूँगा कि फसल का ज्यादा धन किसको मिलना चाहिए।दोनों मुखिया की बात सुनकर चावलों की बोरी लेकर घर चले गए।
सोनू अपने चावलों की बोरी को खोलकर उसमे से कंकड़ और चावल अलग करने में लगा गया।
मोनू अपनी चावलों की बोरी को ले जाकर मंदिर में भगवान के सामने रख दिया, और चावलों से कंकड़ को अलग करने के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगा। भगवान मेरे चावलों से कंकड़ अलग कर दो।
दोनों भाई अगली सुबह मुखिया के पास अपने-अपने चावल के बोरी के साथ पहुंचे। सोनू की आंखें थकी हुई थी। और वह बीमार भी दिख रहा था, क्योंकि सोनू तो पूरी रात जागकर चावलों से एक-एक कंकड़ अलग कर रहा था।
मुखिया ने सोनू के चावल की बोरी खोलकर देखी, चावल में एक भी कंकड़ नहीं थी यह देखकर मुखिया बहुत खुश हुआ।
मोनू ने अपनी बोरी मंदिर से ले जाकर ऐसी की ऐसी मुखिया के सामने रख दी। और मुखिया से बोला आप बोरी को खोल कर देख लीजिये मुझे भगवान पर पूरा विश्वास है, कि इस चावल की बोरी से सारे कंकड़ निकल चुके होंगे। लेकिन जब मुखिया ने जब चावल की बोरी खुलवाई तो देखा सारे कंकड़ चावलों में ही मौजूद थे।
मुखिया ने मोनू को समझाते हुए कहा, कि भगवान भी हमारी मदद तब ही करते है जब हम अपनी तरफ से मेहनत करते है। यह बात समझाते हुए मुखिया ने फसल का ज्यादा धन सोनू को दे दिया।
इसके बाद से मोनू भी सोनू के साथ खेत में मन लगाकर मेहनत करने लगा। इस बार इनके खेत में और भी ज्यादा अच्छी फसल हुई।
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