Bachchon ke liye kakshaa 5 ki kahani | बच्चों के लिए कक्षा 5 के लिए कहानी | अपना काम स्वयं करो – जंगल से एक बैल गाड़ी वाला गुजर रहा था। उसकी गाड़ी में ढेरों लकडियों भरी थी। जिसे दो बैंल खींच रहे थे।
जंगल में दोनों बैल मस्ती में धीरे-धीरे चलते जा रहे थे। उस जंगल में एक स्थान पर दलदल थी, जो ना ही गाड़ी वाले को और ना ही बैल को मालूम चला। दोनों बैल तो निकल गए उस दलदल के पास से, मगर गाड़ी का एक पहिया उस दलदल में फंस गया।
गाड़ीवाला पहिया निकालने के लिए बैलों पर चाबुक बरसाने लगा। चाबुक लगते पर बैल गाड़ी को पूरी जान से खींचते मगर पहिया टस से मस नहीं होता था। वह जहां का तहां फंसा रहा।
अब गाड़ी वाले को समझ आया कि बैल इस गाड़ी को इस दलदल से नही खींच पाएगा। वह मदद के लिए जंगल में ईधर-उधर देखने लगा। मगर उस जंगल में कौन था जो उसकी मदद करता?
आखिरकार वह गाड़ी से उतर कर जंगल में कोई है, कोई है कि आवाज देकर पुकारने लगा। मेरी गाड़ी दलदल में फंस गयी है कोई मेरी मदद करो?
कुछ देर बाद उस जंगल में एक बूढ़ा व्यक्ति, सूखी लकड़ियां चुनते नजर आया। गाड़ी वाला उसे देख खुश हो गया उसने कहा, भाई मेरी गाड़ी का पहिया दलदल में फंस गया है उसे निकालने में मेरी मदद करो।
वह लकड़ी चुनने वाला बूढ़ा व्यक्ति बोला- माफ करना भाई मैं दो दिनों से भूखा हूं। अगर मैं तुम्हारी मदद करूंगा तो मेरा कलेजा मुंह को आ जाएगा। आज दो दिनों के बाद मुझें कुछ अनाज मिला हैं। इससे पकाने के लिए मैं यहां लकड़ी़ लेने आया हूं। मुझें माफ कर दो।
गाड़ीवाला व्यक्ति उदास हो गया- और अपनी गाड़ी पर चढ़कर बैठ गया कर बैंलों पर चाबुक बरसाने लगा।
लकड़ी लेने के बाद वह बूढ़ा व्यक्ति उस गाड़ी वाले के पास आया और बोला, तुम जो उपर बैठ कर बैलों पर और बोझ डाल रहे हो। उससे अच्छा बैंलों के साथ-साथ तू खूद भी पहियों पर जोर लगा, फिर देख गाड़ी निकलती है या नहीं।
गाड़ी वाले ने वैसे ही किया, उसने एक ओर बैंलों को हांका और स्वयं पहिया निकालने के लिए जोर लगाया, देखते ही देखते गाड़ी दलदल से बाहर निकल गई।
अब गाड़ी वाला बेहद खुश हुआ और बोला- लो भाई तुम कुछ पैसे रख लो। तुम अगर मुझें सलाह नही देते तो न जाने में कब तक इस जंगल में फंसा रहता।
बूढ़ा व्यक्ति ने कहा- नहीं भाई। मुझे पैसे नही चाहिए। मैंने तो तुम्हारी कोई सहायता की ही नहीं। सच पूछो तो तुमने अपनी सहायता स्वयं की है।
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