सभी बच्चों को कहानी सुनना अच्छा लगता है. अक्सर बच्चों की कहानियों में राजा रानी की कहानी, परियों की कहानी, तोता मैना की कहानी आदि हुआ करती हैं. मगर आज हम इससे कुछ अलग बच्चों की कहानी (Baccho ki kahani in hindi) लेकर आये हैं. जिसको पढ़कर आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.
बेलालांग की चतुराई | Baccho ki kahani
एक गावं में बेलालांग नाम का व्यक्ति रहता था। उस गांव में ऐसा कोई नहीं था, जो बेलालांग को नहीं जानता हो। बेलालांग के पास एक जादुई किताब थी, जिसके सहारे वह किसी की भी खोई हुई चीज के बारे में बता सकता है।
गांव में बहुत से लोगों ने बेलालांग की मदद से अपनी खोई हुई चीजें वापस पाई थीं। एक शाम जब बेलालांग के पास कुछ लोग बैठे हुए थे, उसने अपने बेटे को पुकारा और कहा, बेटा, जरा मेरी पुस्तक तो ले आओ, मुझे लगता है कि पिछवाड़े बाग में हमने जो जाल डाला था उसमें कुछ फंसा है।’
बेटे ने पुस्तक लाकर दी। कुछ देर बेलालांग ने पुस्तक के पन्ने पलटाये फिर कहा, बेटा, जाकर रात्रि के भोजन के लिए ले आओ, अपने जाल में एक मुर्गा फंसा है।’
बेलालांग का बेटा जब मुर्गा लेकर लौटा तो लोग बड़े प्रभावित हुए कि देखो बेलालांग कितना ज्ञानी है। एक दिन एक धोबी आया, बेलालांग मैंने राजमहल के कुछ कपड़े धोकर सुखाये थे, वे मिल नहीं रहे हैं। आप जरा अपनी किताब देखकर बताओ ना। डर के मारे मेरी तो जान ही निकली जा रही है।’
‘चिंता मत करो, मैं कोशिश करता हूं’ कहकर बेलालांग अपनी जादुई किताब लेकर बैठ गया। थोड़ी देर में उसने कहा, ज्यादा दूर नहीं, जहां तुमने सूखने के लिए डाले थे उसके नजदीक ही एक बड़े पेड़ की निचली खोखल में पड़े हैं।’
बताई हुई जगह पर कपड़े पाकर धोबी तो निहार हो गया। उसने सभी से बेलालांग की बड़ी प्रशंसा की। दरअसल सब कुछ मालूम इसलिए होता था क्योंकि यह सब करता उसका बेटा ही था।
कभी किसी के कपड़े गायब कर दिए, कभी किसी का मछली का जाल छिपा दिया। किसी के दड़बे से मुर्गी निकाल ली। फिर आकर वह पिता को सब बता देता था और जब लोग परेशान होकर पूछने आते तो बेलालांग जादुई पुस्तक उलट-पुलटकर सब बता देते और प्रशंसा बटोरते।
बाप-बेटे ये सब यूंही मजा लेने के लिए करते थे। मगर एक दिन उन्हें यही मजा भारी पड़ गया।
दरअसल बेलालांग के ज्योतिषी होने के चर्चे उसी राज्य के राजा के कानों तक जा चुकी थीं। एक दिन राजा के यहां से सात बक्से किसी ने चुरा लिए और राजा के सिपाही उन्हें खोजने में असफल रहे कि बक्से किस ने चुराए?
तभी राजा ने गांव में सिपाही भेज कर बेलालांग को दरवार में बुलाया, और सारी घटना बताई राजा ने बेलालांग को सात बक्से किस ने चुराये उनका नाम और किस दिशा में मिलेगें बताने को कहां, बेलालांग बिल्कुल घबराया और राजा से सात दिन की मोहलत मांगी इस काम के लिए राजा ने भी बेलालांग को मुहलत दे दीं।
बेलालांग अब घर आकर सोच रहा हैं, अब करे तो क्या करें! किस को बताए कि उसके पास कोई जादुई किताब ज्योतिषी की जानकारी नहीं हैं, वह तो सब ढ़ोग है।
मोहलत के दिन एक-एक कर बीतते चले गए। छटवां दिन भी बीत गया। कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करें? घर के सदस्यों ने इस कड़वे सच के लिए अपने को तैयार कर लिया कि बेलालांग के जीवन की बस कुछ ही घड़ियां शेष है।
बेलालांग दुःखी था। घड़ी-घड़ी ईश्वर को मन नही मन में पुकारता हे भगवान में बहुत बड़ी विपदा में हूं, मदद करो कहता रहता था।
बेलालांग ने सोचा शायद ये रात्री का आखरी भोजन हैं। क्यों ना में आज रात चपाती ही खा लूं।
उसके अपनी पत्नी को रात्री के भोजन के लिए चपाती बनाने को कहां, उसकी पत्नी ने जब खाना पड़ोसा तो बेलालांग को कहां भूख थी।
वह अपनी पत्नी की चपाती में खोट निकालने लगा, ये मोटा है, ये छोटा हैं तो काला है इस तरह वो चपाती में बस कमीयां ही निकाल रहा था।
रात बेलालांग के खिड़की से पास बातें सुनने के लिए एक नहीं, दो नहीं पूरे सात व्यक्ति छूपे थे, दरअसल यही थे चोर। और बेलालांग की ये टिप्पणियां उनके हुलिए पर लागू हो रही थीं।
बेलालांग की जादूई किताब के बारे में चारों को भी मालूम चल गया था। तभी उसके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी? बेलालांग ने दरवाजा खोला। बाहर देखा सात व्यक्ति झट उनके पैरों पर गिर पड़े, बेलालांग हमें माफ कर दो, हमें राजा के कोप से बचा लो।
बेलालांग कुछ समझे, कुछ नहीं समझे, लेकिन इतना वे ताड़ गए कि हो न हो चोर तो यही सातों हैं। बेलालांग बोला तुम लोग तो अभी दया की भीख मांग रहे हो, बाद में, मेरे कहने पर राजा ने क्षमा कर दिया तो तुम लोग फिर चोरियां करोगें।
‘नहीं बेलालांग, अब हम कभी चोरी नहीं करेगे, सभी ने एक स्वर में बोला। अगले दिन बेलालांग, सातों चोरों और चुराए हुए सात बक्सों के साथ राजा के पास दरवार में गया।
चोरी हुए बक्सों को देख राजा बहुत खुश हुआ। बेलालांग के कहने पर राजा ने चोरों को क्षमा कर दिया और बेलालांग को कीमती उपहार दिए।
सभी ने राजा को धन्यवाद दिया।
इस घटना के बाद बेलालांग ने फिर कभी ज्योतिषी का ज्ञान नहीं बघारा। उन्होंने कह दिया कि किताब खो गई और बिना किताब वे कुछ नहीं बता सकते।
जो विद्या आती नहीं, उसके ज्ञान की डींग हांकना बुद्धिमानी नहीं होती, एक न एक दिन तो पोल खुल ही जाती है, झुठ के कारण आप कभी-न-कभी बड़ी मुसीबत में भी पड़ सकते हैं।
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