हमें बचपन से ही Akbar Birbal ki Kahani से मनोरंजन होता आया है। जिसको हमने अक्सर अपनी दादी-नानी से सुना है।ऐसे तो असंख्य अकबर बीरबल की मजेदार कहानियां हैं। जिसमें आपके लिए कुछ बेहद प्रेरणादयक कहानी शेयर करने जा रहे हैं। जिसको पढ़कर आप अपने बच्चों को जरूर सुनाएं।
Akbar Birbal ki Kahani | अकबर बीरबल की 3 मजेदार कहानियां
हम आपके लिए यहाँ के तीन कहानियॉं शेयर करने जा रहे हैं। जिसको आप पढ़कर अपने सगे-साथियों तक शेयर जरूर करें।
तीन सवाल | Three Questions
एक बार की बात है। बादशाह अकबर के दरबार में सब जानते थे कि बीरबल बादशाह अकबर का सबसे पसंदीदा है। इस बात को लेकर दरबार में कुछ लोग बीरबल से जलते थे।
एक बार मानसिंह जो बादशाह अकबर के साले थे। इसी बात से बहुत परेशान थे। वह सोच रहे थे कि ऐसा वह क्या करें कि बादशाह अकबर उन्हें बीरबल से भी ज्यादा बुद्धिमान सकझने लगे। वो अपने कमरे में इधर-उधर ठहल रहे थे और गहरी चिंता में डुबे थे।
तभी मानसिंह की बहन वहां आयी और मानसिंह वो परेशान देख पूछी, “क्या बात है, भईया आप बहुत परेशान दिख रहे है”?
मानसिंह ने बोला, “हां बहन में बहुत परेशान हूं, क्योंकि तुम जानती हो कि महाराज अपने दरबार में सबसे बुद्धिमान बीरबल को ही समझते है”।
रानी ने कहा- “तो यह बात है। आप परेशान ना हो इस बारे में महाराज से मैं बात करती हूं”।
एक दिन बादशाह अकबर और रानी अकेले बगीचे मैं बैठे थे। रानी कुछ उदास थी। अकबर ने उनकी उदासी की वजह पूछा?
रानी ने पहले कुछ बोलने से मना कर दिया। महाराज ने दुबारा पूछा तो रानी ने कहा- “महाराज आपके दरवार में एक से एक बुद्धिमानी और चतुर लोग उपस्थित है। फिर भी आपका प्रिय केवल बीरबल ही क्यों है? आपके दरवार मैं मेरा भाई मानसिंह भी तो है, जिनसे आप सलाह, मसवरा ले सकते है”?
बादशाह ने बोला मुझे मानसिंह की समझदारी पर कोई शक नही है तभी तो वह दरबार में हैं ।
ऐसी बात है तो मै कल ही मानसिंह को एक मौका देता हूं। बीरबल की परीक्षा लेंगे अगर उसमें अगर बीरबल फेल हो गया तो मैं उसे राज्य दरबार से निकाल बीरबल की जगह मानसिंह को दे दूंगा।
आपको भी मालूम हो जाएगा कि मैं बीरबल को क्यों पसंद करता हूं।
अगले दिन बादशाह अकबर ने बीरबल और मानसिंह को दरबार में बुलाया। बीरबल दरबार में आकर सलाम किए और पूछा, “आपने मुझे याद किया जहांपनाह”?
बादशाह अकबर ने कहा, “हमारे साले साहब आपसे तीन प्रश्न करना चाहते है। जिसका जवाब आपको देना है। अगर आप मानसिंह के प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाए तो आपको यह दरबार को छोड़कर जाना होगा। आपकी जगह मानसिंह को न्युक्त किया जाएगा”।
यह बात सुनते ही दरबार में उपस्थित जो लोग बीरबल से जलते थे। वह सब खुश हो गए।
बीरबल ने कहा, “मुझे सारी शर्तें मंजूर है, महाराज पर सवाल क्या है?
बादशाह अकबर मानसिंह की ओर देखते है। मानसिंह ने पहला प्रश्न किया आसमान में कितने तारे है?
बीरबल ने कहा, “यह तो बहुत ही आसान सवाल था पर इसका जवाब जानने के लिए आप सब को मेरे साथ महल के बाहर आना होगा। सब बीरबल के पीछे चल दिए। बीरबल महल के बाहर एक भेड़ के पास जाकर खड़े हो गए और बोल जीतना भेड़ के शरीर पर बाल है। उतना ही आसमान में तारे है। अगर मानसिंह को यकिन ना हो तो दोनों बराबर है या नहीं मानसीह गिनती कर लीजीए।
अकबर ने मानसीह से पूछा, “क्या बीरबल का जवाब सही है या फिर आप गिनती करना चाहेंगे? मानसिंह ने कहा जब बीरबल बोल रहे है तो सही ही होगा।
मानसिंह ने दूसरा प्रश्न किया, “धरती का केन्द्र कहां है”?
बीरबल मुस्कुराए और एक छड़ी लेकर एक लम्बी लकीर खीचकर उस पर छड़ी को जमीन पर में गार दिया और बोले यही है धरती का केन्द्र।
बादशाह अकबर ने मानसिंह से कहा क्या आप बीरबल ने सही उत्तर दिया। मानसिंह ने मन ही मन सोचने लगा इस सवालों का तो आज तक कोई जवाब नहीं जानता यह बीरबल इतने आराम से सारे जवाब दे रहा है तो सही ही होगा। यह सचमुच बहुत बुद्धमान है।
मानसिंह ने कहा बिल्कुल सही जवाब है।
अकबर बारशाह ने मानसिंह से कहा तीसरा प्रश्न पूछो?
मानसिंह ने कहा इसबार प्रश्न नही, एक पहेली है जिसका जवाब बीरबल को देना होगा?
बीरबल ने कहा क्या पहेली है?
मानसिंह ने कहा- एक परख हैं सुंदर मुरत, जो देखे वो उसी की सूरत, फिक्र पहेली पाइना, ओझल लागा आईना। बताईए क्या?
बीरबल मुस्कुराए और बोले “इसका जवाब तो बहुत ही आसान है। मानसिंह जी आपकी पहेली में ही इसका जवाब छुपा है”।
बादशाह अकबर ने बीरबल को कहा, “जवाब दो बीरबल क्या उत्तर है”?
बीरबल ने कहा, “आईना”।
बादशाह अकबर ने मानसिंह से पूछा, “कोई और प्रश्न है जो आप बीरबल से करना चाहते हो”?
मानसिंह ने कहा नही महाराज।
बादशाह अकबर बीरबल की चतुराई की खुब तारीफ करने लगे।
बीरबल ने कहा, “इसमें बुद्धिमानी की कोई बात नही। मानसिंह जो प्रश्न मुझसे पूछ रहे थे, उसका जवाब उन्हें खुद भी नही मालूम था। इसलिए उनको मेरे जवाब को सही मानना पड़ा।
इसलिए मनुष्य को बिना किसी जानकारी कोई कदम नही उठाना चाहिए।
मुर्गी पहले आई या अण्डा?
एक दिन की बात है। बादशाह अकबर के दरबार में एक ज्ञानी पंडीत आए। उनके पास कुछ सवाल थे। जिसका जवाब वह बादशाह अकबर से जानना चाहते थे।
बदशाह अकबर ने कुछ सवालों का जवाब तो दिया पर उनके सभी सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया।
तभी दरवार में बीरबल आ गए तो बादशाह अकबर ने बीरबल को उस ज्ञानी पंडीत के सवालों का जवाब देने को कहा।
बीरबल को सभी जानते थे कि वह पंड़ीत के सभी सवालो का जबाव आसानी से दे देगा।
पंड़ीत ने बीरबल को कहा, “मैं तुम्हें दो विकल्प देता हूं। क्या तुम सौ प्रश्नों का जवाब देना चाहोगे। या फिर एक कठिन सवालों का जवाब”?
बीरबल ने बहुत सोच समझकर पंडीत को कहा, “मैं आपके एक मुश्किल सवाल का जवाब देना चाहूंगा।
पंडीत ने कहा ठीक है तो, “आप बताओ मुर्गी पहले आई या अण्डा”?
बीरबल ने तुरंत जवाब दिया मुर्गी पहले आई।
इस पर पंडीत ने कहा कि आप इतने आसानी से कैसे यह बोल सकते हो की पहले मुर्गी आई।
इस पर बीरबल ने कहा, “यह आपका दूसरा प्रश्न है और मुझे आपके एक ही प्रश्न का उत्तर देना था।
ऐसे में पंडीत बीरबल को कुछ बोल नही पाए और बिना कुछ बोले ही दरवार से चले गए।
इससे बीरबल ने फिर से साबित कर दिया कि बादशाह अकबर के राज्य में उनका होना कितना जरूरी है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है सही तरह से दिमाग लगाने और संयम रखने से हर सवाल और समस्या का हल मिल सकता है।
कौन है असली मां।
एक दिन की बात है। अकबर बादशाह के दरबार में दो महिला रोती हुई पहुंची। उनके साथ में एक तीन साल का बच्चा था।
दोनों महिलायें रो रही थी, और खुद को उस बच्चें की मां बोल रही थी।
यह देख दरबार में उपस्थित सभी लोग आश्चर्य हो गए। सभी यही सोच रहे थे कि उन दोनों महिला में से झूठ कौन बोल रहा है?
समस्या यह भी थी कि दरबार में उपस्थित लोगों में से कोई भी उन दोनों महिला को नही पहचानता था। तो यह बताना मुश्किल था कि कौन झूठ बोल रही है।
अकबर बादशाह के पास मुश्किल आ गई न्याय कैसे करें?
इस बारे में एक-एक कर अकबर बादशाह सभी दरबारियों से राय मांगी पर कोई भी इस गुत्थी को समझाने की राय नहीं दे पाया।
बीरबल कुछ सोच रहे थे। जब किसी ने इस मामले में कुछ नही बोला तो बीरबल ने जल्लाद को दरबार में बुलवाया।
जल्लाद को आते ही बीरबल ने कहा इस बच्चें को अपने साथ ले जाओ और इसके दो टुकड़े कर इन दानों महिला को दे दों। अगर इन दोनों महिला में से किसी को मंजूर ना हो तो उसके भी दो टुकड़े कर देना।
यह सुनते ही एक महिला बोली मुझें मुजूर है। मैं एक टुकड़ा लेकर चली जायँगी।
तभी दूसरी महिला बिलक-बिलक कर रोने लगी और बोली मेरे दो टुकड़े कर दो मुझे यह मजूंर नही, बच्चा इस महिला को दे दो, पर इस बच्चें के टुकड़े मत करों, यह बोल रोने लगी।
बीरबल ने अकबर बादशाह को कहा यह महिला ही इसकी बच्चें की असली मां है। जो अपने टुकड़े करवा अपने बच्चें की जान बचाना चाहती।
यह बोलते ही बीरबल ने बच्चें को उस महिला को दे दीया और दूसरी महिला को कारागार में डलवा दिया।
बीरबल की चतुराई ने, एक बार फिर अकबर बादशाह का दिल जीत लिया।
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