Horse ki Kahani in Hindi for Kids – घमंडी घोड़ा: किसी गांव में एक धोबी रहता था। उसके पास एक घोड़ा और एक गधा था।
एक दिन की बात है, धोबी इन दोनों को अपने साथ लेकर बाजार जा रहा था। बाजार धोबी के गांव से काफी दूर थी, उस दिन धूप काफी तेज थी।
गधे की पीठ पर कपड़ों के बड़े-बड़े गðर लदे थे। वही घोड़े की पीठ पर कोई सामान नहीं था। गधा बोझ से मरा जा रहा था, जब गधे को चलना बहुत कठीन हो गया तो उसने घोड़े से कहा- मैं बोझ से मरा जा रहा मालिक को बोल कर थोड़ा बोझ तुम भी अपनी पीठ पे ले लो तो बहुत उपकार होगा।
घोड़े ने कहा- अरे वाह! मैं भला क्यों तुम्हारा बोझ लूं, कम हो या ज्यादा यह बोझ मालिक ने तुम्हारे पीठ पर रखा है तो तुम्हें ही इसे लेकर चलना होगा। और ऐसे भी बोझ ढोना हम घोड़ों का काम नही हैं। हम तो शाही सवारी हैं।
यह सुनकर गधा बेचारा चुप हो गया। मगर थोड़ी दूर चलने के बाद बोझ भारी के कारण गधे के पांव लड़खड़ाने लगे और वह लड़खड़ाकर बीच रास्ते पर गिर पड़ा। प्यास के मारे उसकी आंखें लाल हो गई।
धोबी ने गधे की ऐसी हालत देखी तो उसे तुरंत अपनी गलती का ऐहसास हुआ। धोबी ने तुरंत गधे के उपर से सारा सामान उतार कर घोड़े की पीठ पर सामान लाद दिया और उसने गधे को पानी पीलाया।
बोझ सचमूच बहुत ज्यादा था। घोड़ा थोड़ी दूर चला ही था की उसके पांव भी लड़खड़ाने लगे। अब उसे अपनी भूल का अहसास हुआ और वह सोचने लगा, अगर में गधे की बात मानकर उसकी कुछ बोझ अपनी पीठ पर ले लिया होता तो कितना अच्छा होता, अब मुझे अकेले ही सारा बोझ उठाकर बाजार तक ले जाना पड़ेगा।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि काम बड़ा या छोटा नहीं होता, अगर हम उसे आपस में मिलकर जुलकर करे तो वह किसी एक पर बोझ नहीं बनता हैं।
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