Best hindi stories for child
Best hindi stories for child आइये पढ़ते हैं –
मित्रता का लाभ | Bachon Ki Kahaniyan
शिक्षा: इसलिए कहा गया है कि मित्रता से लाभ है और सच्चा मित्र वही जो अपने मित्र के मुसीबत में काम आये.
असहयोग का परिणाम
एक व्यापारी था. वह पहाड़ी गावों में लोगों की आवश्यकता का सामान बेचा करता था. इस काम के लिए उसने दो गधे रखे हुए थे. एक दिन की बात है. व्यापारी अपने दोनों गधों पर बराबर सामान लादकर गांव में बेचने के लिए चला. उन बोरों में नमक, गुड़, दाल, चावल आदि भरे हुए थे. उन दोनों गधों के से एक गधा बीमार था. व्यापारी को इस बात का पता नहीं था. इसलिए उसने दोनों गधों पर बराबर सामान लाद दिया था.
पहाड़ी रास्ता ऊंचा-नीचा था. उसपर चलते हुए बीमार गधे को बड़ा कष्ट हो रहा था. उसकी तबियत और अधिक ख़राब होती जा रही थी. इसलिए उस बीमार गधे ने दूसरे गधे से कहा-” भाई मेरी तबियत बहुत खराब है, मेरी मदद करो”. दूसरे गधे ने कहा कि “बताओ क्या मदद कर सकता हूं”. इसके बाद बीमार गधे ने कहा कि “मैं अपने पीठ पर रखा एक बोरा नीचे जमीन पर गिरा देता हूं तुम यही खड़े रहना.
इसके बाद हमारा मालिक उस गिरे हुए बोर को तुम्हारे पीठ पर डाल देगा. इसके बाद मेरा बोझ कुछ कम हो जायेगा तो मैं तुम्हारे साथ चलता रहूंगा. अगर तुम आगे चले गए तो गिरा हुआ बोरा मालिक फिर से मेरी ही पीठ पर डाल देगा”.
दूसरे गधा उनकी बातों से सहमत नहीं हुआ. उसने उतर में कहा- ” मैं तुम्हारा बोझ ढोने के लिए क्यों खड़ा रहूं? मेरी पीठ पर क्या बोझा कम लड़ा है? मैं तो अपने ही हिस्से का बोझा ढोऊंगा.
दूसरे गधे की बात सुनकर बेचारा बीमार गधा चुप हो गया. मगर धीरे-धीरे उसकी तबियत और अधिक ख़राब होती जा रही थी. अचानक वह पत्थर के एक टुकड़े से ठोकर खाकर गिर गया और एक गड्ढे में लुढ़क गया. उसके प्राण निकल गए.
अपने एक गधे के यूं अचानक मर जाने से व्यापारी दुखी हो गया. थोड़ी देर वह खड़ा रहा फिर कुछ सोचकर उसने उस मरे हुए गधे का सामान स्वस्थ्य गधे पर डाल दिया. अब उस गधे को पछतावा हुआ. अगर वह पहले ही अपने साथी की बात मान लेता तो उनको दोनों का बोझ ढोना नहीं पड़ता.
शिक्षा: संकट पड़ने पर अपने साथी का सहयोग देना आवश्यक है.
खरगोश की नादानी
एक बार बहुत जोर की गर्मी पड़ी. धुप भी उन दिनों तेज निकलती थी. धुप और गर्मी से पेड़-पौधे सूखने लगे. खेतों में फसल सूखने लगी. जिन मैदानों में पशु चरते थे, वहां की घास सूखने लगी. सभी तालाब का पानी सुख गया.
जंगल में एक खरगोश रहता था. गर्मी की अधिकता से वह घबरा गया. पानी कहीं था ही नहीं, उसके मारे प्यास से होंठ सुख गए.
खरगोश ने सोचा- “सूर्य ने हमें परेशान कर रखा है. जंगल के जानवर व्यर्थ ही सूर्य से डरते हैं. मैं सूर्य को उनकी करनी का फल चाखऊंगा.
इसके बाद खरगोश ने बांस के खपच्ची का धनुष्य बनाया. जंगल में से सरकंडे तोड़कर बहुत से बाण बना लिए. फिर वह सूर्य को मजा चखाने के लिए जंगल से बाहर मैदान में आ गया.
उस मैदान में बड़े-बड़े पत्थर पड़े हुए थे. खरगोश एक बड़े पत्थर के पीछे छुप गया. फिर धनुष्य पर वाण तानकर सूर्य को ओर चला दिए. सूर्य यह देखा तो खरगोश की नादानी पर हंसने लगा.
इसके बाद खरगोश वाण पर वाण मरता गया. ऐसा करते-करते उसके वाण समाप्त होने लगें. खरगोश के इतना वाण चलने के बाद भी सूर्य के तपन में कोई कमी नहीं आई. अचानक बादल का एक टुकड़ा सूर्य के सामने आ गया. जिसके कारण सूरज उसमे छुप गया.
वास्तविकता को जाने बिना खरगोश ख़ुशी से उछल पड़ा. नाचने-गाने लगा. वह जोर-जोर से कहने लगा – “सूर्य को अपनी करनी का फल मिल गया.”
थोड़ी देर में बादल हट गया और फिर से पहले ही तरह सूर्य चमकने लगा. खरगोश डर से कंपनी लगा. उसने सूर्य के हाथ जोड़े और झाड़ियों में छिप गया.
कहते हैं कि तब से अब तक खरगोश धुप से डरते हैं. जब सूर्य तपता है तो वे झाड़ियों में जाकर छुप जाते हैं. शाम होने पर ही वे बाहर निकलते हैं. वे शाम-सवेरे ही उछल-कूद का आनंद उठा पाते हैं.
शिक्षा: “सामर्थ्य के अनुसार ही कार्य करना ठीक है”
शरारत बन्दर का दंड
हम लाते हैं मजदूरों से जुड़ी खबर और अहम जानकारियां? - WorkerVoice.in